नई दिल्लीः शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राम रहीम केस की याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आई लव यू लिखने का मतलब ये नहीं कि वह किसी भी तरह का संबंध बनाने के लिए अवलेबल है। 14 साल पुराने इस केस में डेरा प्रमुख ने विक्टिम के हैंडराइटिंग के नमूनों की जांच की मांग की थी, जबकि लेटर में लिखे लैंग्वेज से महिला की रजामंदी का कहीं भी पता नहीं चलता हैं।
क्या कहती है रिपोर्ट?
-विक्टिम के लेटर से उसकी रजामंदी का कहीं भी पता नहीं चलता
-इस केस में सीएफएसएल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वह किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं।
-उन्हें जांच के लिए विक्टिम के हैंडराइटिंग के और नमूने चहिए।
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-यह घटना 1999 में सामने आई थी, जबकि लेटर 2001 में लिखा गया था।
-इसकी एफआईआर 2002 में दर्ज कराई गई थी।
-हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बचाव पक्ष की सभी दलीले खारिज कर दी हैं।
-इससे पहले ट्रॉयल कोर्ट और हाईकोर्ट ने भी इस अपाल को खारिज कर दिया था।
क्या है मामला?
-हरियाणा के सिरसा में स्थित डेरा के आश्रम की महिला ने राम रहीम पर रेप का आरोप लगाया था।
-बचाव पक्ष ने लेटर को अहम सबूत माना था और कहा था की उनपर लगे आरोप सही नहीं हैं।
-पंजाब औऱ हरियाणा हाईकोर्ट ने लेटर के सीबीआई जांच के लिए 2002 में आदेश दिए थे।
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-सीबीआई ने अपनी जांच में आरोपों को सही पाया था।
-2007 में राम रहीम के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई थी।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
-फ्रेंच राइटर विक्टर ह्यूगो को उनकी सेक्रेटरी लगातार 49 सालों तक लेटर लिखती रही।
-उस लेटर में वह अपने डिवोशन के बारे में लिखती थी।
-ह्यूगो ने उसके साथ कभी भी छेड़खानी करने की कोशिश नहीं की।
-कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अब कहने को कुछ भी नहीं बचा है।
-इसलिए कोर्ट ने डेरा प्रमुख की याचिका खारिज कर दी।