उमर अब्दुल्ला की हिरासत पर SC ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को भेजा नोटिस
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब अगली सुनवाई 2 मार्च को करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया है।
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब अगली सुनवाई 2 मार्च को करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया है। उमर की बहन सारा अब्दुल्ला पायलट ने सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सारा ने सुप्रीम कोर्ट से सबद्ध प्रशासन को बंदी प्रत्यक्षीकरण कराने का आग्रह किया था। इस पर कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है।
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उमर अब्दुल्ला की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल
उमर अब्दुल्ला की ओर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। कपिल सिब्बल ने कहा कि उमर अब्दुल्ला कई महीने से हिरासत में रखे गए हैं, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने इसका आधार पूछा है। कपिल सिब्बल ने जवाब में कहा कि लोक सुरक्षा कानून के मुताबिक, उन्हें नजरबंद किया गया है।
उमर अब्दुल्ला की तुरंत रिहाई पर कोर्ट का इनकार
हालांकि कोर्ट ने उमर अब्दुल्ला को तुरंत रिहा करने से इनकार कर दिया है। कपिल सिब्बल कोर्ट में बार-बार अपील कर रहे थे, लेकिन अदालत ने उनकी इस अपील को टाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप काफी वक्त से हिरासत में हैं कुछ और वक्त इंतजार कर सकते हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कपिल सिब्बल से ये भी पूछा कि क्या हाई कोर्ट में इस रिहाई से संबंधित कोई अपील की गई है?
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अदालत ने सुनवाई खत्म होने के बाद उमर अब्दुल्ला की बहन सारा पायलट ने बयान दिया कि हम उस दिन के इंतजार में हैं कि जब कश्मीरी नागरिकों को भी भारत के अन्य नागरिकों की ही तरह अधिकार मिलेंगे।
धारा 370 खत्म किए जाने के बाद से हिरासत में अब्दुल्ला
गौरतलब है कि उमर अब्दुल्ला पिछले साल 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म किए जाने के बाद से ही हिरासत में लिए गए थे। सुरक्षा बरतते हुए उमर अब्दुल्ला और कश्मीर के कुछ नेताओं को नजरबंद किया गया था। तब CRPC की धारा 107 के तहत उमर अब्दुल्ला को हिरासत में लिया गया था। जिसके तहत 6 महीने उमर अब्दुल्ला को हिरासत में रखा जा सकता है। लेकिन 5 फरवरी को इसकी अवधि खत्म हो चुकी है और फिर उन पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) लगा दिया गया।
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