जस्टिस एनवी रमन्ना बनेंगे चीफ जस्टिस, विवादों से रहा है सामना

आंध्र प्रदेश के रहने वाले एन.वी रमन्ना 2000 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में स्थायी जज के तौर पर चुने गए थे। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जस्टिस एनवी रमन्ना देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे। मौजूदा चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे ने उनके नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी है।

Update: 2021-03-24 07:49 GMT
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जस्टिस एनवी रमन्ना देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे। मौजूदा चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे ने उनके नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी है।

नीलमणि लाल

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जस्टिस एनवी रमन्ना देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे। मौजूदा चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे ने उनके नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी है। पिछले दिनों ही सरकार ने उनसे अपने उत्तराधिकारी के तौर पर नाम भेजने को कहा था। चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे 23 अप्रैल को अपने पद से रिटायर होने वाले हैं। मौजूदा चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे के बाद एनवी रमन्ना सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज हैं। उनका कार्यकाल 26 अगस्त, 2022 तक होगा।

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कौन हैं रमन्ना

आंध्र प्रदेश के रहने वाले एन.वी रमन्ना 2000 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में स्थायी जज के तौर पर चुने गए थे। फरवरी, 2014 में सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति से पहले वह दिल्ली हाई कोर्ट में थे। 63 वर्षीय नुथालपति वेंकेट रमन्ना ने 10 फरवरी, 1983 को आंध्र प्रदेश से वकील के तौर पर शुरुआत की थी।

इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट, आंध्र प्रदेश एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल के अलावा सुप्रीम कोर्ट में भी वकालत की। उनको संवैधानिक, आपराधिक और इंटर-स्टेट नदी जल बंटवारे के कानूनों का खास जानकार माना जाता है।

2 फरवरी 2017 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। फिलहाल उनके कार्यकाल के दो ही साल बचे हैं क्योंकि 26 अगस्त 2022 में वो सेवानिवृत्त होने वाले हैं। जिस दौरान चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे उस दौरान जस्टिस रमन्ना आंध्र प्रदेश सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल हुआ करते थे।

पूर्व जस्टिस चेलमेश्वर के साथ विवाद

मार्च 2017 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस चेलमेश्वर ने एक पत्र लिख कर कहा था कि जस्टिस एनवी रमन्ना और एन चंद्रबाबू नायडू के बीच अच्छे रिश्ते हैं। उन्होंने कहा था - ये न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच ग़ैर-ज़रूरी नज़दीकी का सबसे बड़ा उदाहरण हैं।

अपने पत्र में उन्होंने लिखा था कि अविभाजित आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के बारे में एनवी रमन्ना की रिपोर्ट और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की टिप्पणी में समानताएं थीं। अपने पत्र में जस्टिस चेलमेश्वर ने लिखा, माननीय जज और आंध्र प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री के बीच नज़दीकी के बारे में सभी जानते हैं।

फोटो-सोशल मीडिया

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जब ये चिट्ठी लिखी गई थी उस वक्त जस्टिस चेलमेश्वर सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति करने वाले कॉलेजियम के सदस्य थे। इस चिट्ठी का नतीजा ये हुआ कि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस एनवी रमन्ना की दी गई रिपोर्ट को खारिज कर दिया और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में नए जजों की नियुक्ति की।

एक बार पुस्तक विमोचन के एक आयोजन के दौरान जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा था कि - जजों पर झूठे आरोप लगा कर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। चूंकि आरोपों पर सफ़ाई देने का कोई रास्ता नहीं है इसलिए उन्हें आसान निशाना बनाया जा रहा है। ये ग़लत धारणा है कि रिटायर्ड जज शानो शौकत वाली ज़िंदगी जीते हैं।

जगन रेड्डी का आरोप

आंध्र प्रदेश मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने जस्टिस एनवी रमन्ना पर आंध्र प्रदेश सरकार के प्रशासनिक कामकाज में दखल देने का आरोप लगाया था। इस चिट्ठी में मुख्यमंत्री ने लिखा - टीडीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू से जस्टिस रमन्ना की नज़दीकी जगज़ाहिर है। मैं बेहद ज़िम्मेदारी के साथ ये बयान दे रहा हूँ।

उन्होंने आरोप लगाया कि - जस्टिस रमन्ना हाईकोर्ट की बैठकों को प्रभावित करते हैं। इसमें कुछ माननीय जजों के रोस्टर भी शामिल हैं। तेलुगू देशम पार्टी से जुड़े अहम मामलों में सुनवाई का काम ‘कुछ माननीय न्यायाधीशों’ को ही आवंटित किया गया है।

इससे साफ़ पता चलता है कि जस्टिस रमन्ना, टीडीपी और हाईकोर्ट के कुछ माननीय जजों के बीच सांठ-गांठ है।‘अपने आरोपों के समर्थन में उन्होंने कुछ दस्तावेज़ और पहले दिए गए कोर्ट के आदेश भी चिट्ठी के साथ संलग्न किए।

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