शाहीन बाग में ड्रामा! प्रदर्शनकारियों के एक गुट ने खोला रास्ता, दूसरे ने किया बंद
दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने करीब दो महीने बाद नोएडा-फरीदाबाद को जोड़ने वाली सड़क को खोल दिया।
नई दिल्ली: दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने करीब दो महीने बाद नोएडा-फरीदाबाद को जोड़ने वाली सड़क को खोल दिया। लेकिन कुछ देर बाद ही इस दोबारा बंद कर दिया।
सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों का एक ग्रुप रोड नंबर 9 से हट गया, जिसके बाद यहां से आवाजाही शुरू हो गई। कुछ ही देर बाद प्रदर्शनकारियों के दूसरे ग्रुप ने आकर रोड को दोबारा बंद कर दिया।
डीसीपी साउथ ईस्ट ने कहा कि प्रदर्शकारियों के एक गुट ने रोड नंबर 9 को खोल दिया था। लेकिन कुछ देर बाद ही दूसरे ग्रुप ने दोबारा से रोड को बंद कर दिया। प्रदर्शकारियों के बीच खींचतान जारी है, अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त वार्ताकार साधना रामचंद्रन और वकील संजय हेगड़े के समझाने के बाद प्रदर्शनकारी इस सड़क को खोलने को तैयार हुए थे। इससे पहले लगातार चौथे दिन शनिवार सुबह वार्ताकार रामचंद्रन यहां पहुंचीं और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को रास्ता खोलने के लिए समझाया। प्रदर्शनकारियों ने वार्ताकार के समक्ष अपनी सात मांगी रखी थी।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक सीएए वापस नहीं लिया जाता, तब तक रास्ते को खाली नहीं किया जाएगा। सुबह 10.30 बजे यहां पहुंची साधना रामचंद्रन ने कहा कि अगर रास्ता नहीं खुला तो हम आपकी मदद नहीं कर पाएंगे। हम प्रदर्शन खत्म करने को नहीं कह रहे हैं।
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प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हमारी मांग है कि यदि आधी सड़क खुलती है तो सुरक्षा और एल्युमिनियम शीट चाहिए। साथ ही शाहीनबाग के लोगों और जामिया के विद्यार्थियों पर दर्ज किए गए मुकदमें वापस लिए जाने चाहिए।
वार्ताकार ने कहा कि मैं यहां सरकार की ओर से नहीं आई हूं। हम सुप्रीम कोर्ट से कहेंगे कि आपको सुरक्षा दी जाए। आपको एक पार्क दे दिया जाएगा, जहां पर आप प्रदर्शन को जारी रख सकते हैं। लेकिन वार्ताकार की इस बात का सभी प्रदर्शनकारियों ने एक स्वर में खंडन कर दिया और उनके सामने सात मांगे रखीं।
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प्रदर्शनकारियों ने आगे की मांग की राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लागू नहीं किया जाए। केंद्रीय मंत्रियों के विवादित बयानों पर कार्रवाई होनी चाहिए। आंदोलन में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा मिलना चाहिए व प्रदर्शन के दौरान घायल हुए लोगों के इलाज का खर्च सरकार वहन करे। हमें दिल्ली पुलिस पर भरोसा नहीं है, सुप्रीम कोर्ट हमारी सुरक्षा को लेकर आश्वासन दे।
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वार्ताकार साधना ने प्रदर्शन स्थल से निकलते समय पत्रकारों से कहा कि यहां आने को लेकर मैं वकील संजय हेगड़े से बात करुंगी। जाहिर है 70 दिनों से सीएए और एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहा है और जिसकी वजह से जिस रास्ते पर प्रदर्शन हो रहा है उससे आस पास के लोगों को दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है।