मोहन भागवत पर शंकराचार्य ने कह दी ये बात, सुनकर RSS वाले हो जायेंगे खफा!

धर्म और राजनीति के जटिल संबंध हमेशा से चर्चा का विषय रहे हैं और अब एक बार फिर इस पर बहस छिड़ी है। RSS प्रमुख के बयान ने इस मुद्दे को ताजे सिरे से उभार दिया है। इस बयान पर शंकराचार्य ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

Newstrack :  Network
Update:2024-12-26 08:11 IST

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद  Photo- Social Media

भारत में धर्म और राजनीति के जटिल संबंध हमेशा से चर्चा का विषय रहे हैं, और अब एक बार फिर इस पर बहस छिड़ी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान ने इस मुद्दे को ताजे सिरे से उभार दिया है। इस बयान पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने 25 दिसंबर को मोहन भागवत के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, "मोहन भागवत हिंदुओं की दुर्दशा को नहीं समझते हैं।" उनका कहना था कि कई हिंदू मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, और यह सचाई किसी से छिपी नहीं है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मोहन भागवत का बयान इस बात को स्पष्ट करता है कि उन्हें हिंदू समाज के दर्द और संघर्ष का कोई एहसास नहीं है।

क्या कहा था RSS प्रमुख ने

आरएसएस प्रमुख ने 19 दिसंबर को यह चिंता जताई थी कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोग मंदिर-मस्जिद के विवादों को उठा कर "हिंदुओं के नेता" बनने की कोशिश कर रहे हैं। इस पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, "अगर कुछ लोग इन मुद्दों को उठाकर नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि आम हिंदू समाज नेता बनने की इच्छा रखता है।"

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने आगे कहा कि जब आरएसएस को सत्ता की आवश्यकता थी, तब वे मंदिरों के महत्व को बढ़ावा दे रहे थे, लेकिन अब जब सत्ता मिल गई है, तो मंदिरों के पुनर्निर्माण की बातों को नजरअंदाज किया जा रहा है। इससे पहले भी उन्होंने आक्रांताओं द्वारा कथित रूप से तोड़े गए मंदिरों की सूची तैयार करने और उनका पुरातत्व सर्वेक्षण करने की मांग की थी। उनका कहना था कि हिंदू समाज अगर अपने मंदिरों का पुनर्निर्माण और संरक्षण करना चाहता है, तो इसमें कोई गलत बात नहीं है।

बांग्लदेशी अल्पसंख्यकों से मिले शंकराचार्य

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बुधवार को बनारस में बांग्लादेशी अल्पसंख्यक समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने उनके मुद्दों और चिंताओं को गहराई से सुना। स्वामी जी ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह उनकी समस्याओं को सरकार के सामने उठाएंगे और उनका समाधान सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश करेंगे।

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