Shiv Sena Row: शिंदे गुट को चिन्ह देने मामले में चुनाव आयोग ने SC में दाखिल किया जवाब, कहा- सही था निर्णय

EC On Shiv Sena Symbol Issue: शिवसेना के चुनाव चिह्न को लेकर विवाद के बीच चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय में अपना जवाब दाखिल किया है।

Update:2023-03-15 22:40 IST
प्रतीकात्मक चित्र (Social Media)

EC On Shiv Sena Symbol Issue: शिवसेना (Shiv Sena) के दो खेमे में बंटने के बाद इसके चुनाव चिन्ह को लेकर विवाद हुआ। जिस पर चुनाव आयोग (Election Commission) ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है। इलेक्शन कमीशन ने एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) खेमे को चुनाव चिन्ह आवंटित करने के अपने फैसले को सही ठहराया है। EC ने कहा, यह एक तर्कसंगत आदेश था। जिसमें उद्धव ठाकरे खेमे (Uddhav Thackeray camp) के उठाए गए सभी मुद्दे शामिल हैं।

गौरतलब है, कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एकनाथ शिंदे गुट को राहत देते हुए कहा था फिलहाल शिंदे गुट के पास ही शिवसेना का नाम और सिंबल रहेगा। वहीं, उद्धव ठाकरे के पास (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम और मशाल चुनाव चिन्ह रहेगा। शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग और शिंदे गुट से जवाब देने के लिए कहा था।

EC ने अदालत को जवाब में क्या कहा?

चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय को जवाब में कहा है कि, 'याचिकाकर्ता (उद्धव ठाकरे) की ओर से रखी बातों का खंडन करते हैं। चुनाव आयोग का फैसला प्रशासनिक नहीं, अर्ध-न्यायिक था। फैसला लेने वाली संस्था को पक्ष बनाकर जवाब नहीं मांगा जा सकता।'

उद्धव ठाकरे की अर्जी पर नोटिस

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था, कि 'वह चुनाव आयोग के फैसले पर रोक नहीं लगा सकता।' शीर्ष अदालत की टिप्पणी से स्पष्ट हो गया था कि फिलहाल शिंदे गुट (Shinde faction) ही 'असली शिवसेना' कहलाएगा। इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे की अर्जी पर नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने दो हफ्ते के भीतर शिंदे खेमे और चुनाव आयोग (Election Commission) से जवाब मांगा था।

CJI की तीन सदस्यीय पीठ ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud), जस्टिस पीएस नरसिम्हा (Justice PS Narasimha) और जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने नोटिस जारी किया। मगर, शिंदे खेमे को असली शिवसेना मानने वाले निर्वाचन आयोग के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि, यह दूसरे पक्ष को सुने बिना नहीं किया जा सकता है। तब शिंदे गुट के वकील ने खंडपीठ से कहा, वह इस बीच ठाकरे खेमे के विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए कोई व्हिप जारी नहीं करेगा या प्रक्रिया शुरू नहीं करेगा। बेंच ने ये भी कहा, 'ठीक है, नोटिस जारी किया जाता है। जवाबी हलफनामा दो हफ्ते के भीतर दाखिल करें।

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