मोस्ट वॉन्टेड 'डॉन' दाऊद इब्राहिम को लेकर बड़ा खुलासा, ये बात आई सामने

भारत के मोस्ट वॉन्टेड अपराधी दाऊद इब्राहिम को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। 1993 मुंबई सीरियल धमाकों का आरोपी दाऊद इब्राहिम से पूछताछ कर चुके विशेष जांच अधिकारी ने एक किताब के जरिए उससे जुड़े अहम खुलासे किए हैं।

Update:2019-06-19 19:28 IST

नई दिल्ली: भारत के मोस्ट वॉन्टेड अपराधी दाऊद इब्राहिम को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। 1993 मुंबई सीरियल धमाकों का आरोपी दाऊद इब्राहिम से पूछताछ कर चुके विशेष जांच अधिकारी ने एक किताब के जरिए उससे जुड़े अहम खुलासे किए हैं।

किताब में लिखा गया है कि 'डॉन' एक सामान्य-सा दिखने वाला डरपोक आदमी है, जिसने स्वीकार कर लिया था कि वह अपराध में शामिल था। भारतीय सीमा शुल्क विभाग के सुपर कॉप के रूप में प्रसिद्ध राजस्व खुफिया निदेशालय के पूर्व महानिदेशक बीवी कुमार ने अपनी नई किताब डीआरआई ऐंड डॉन्स में इन बातों का खुलासा किया है।

किताब में अधिकारी लिखते हैं कि अंडरवर्ल्ड के एक कथित अपराधी राशिद अरबा ने उन्हें दाऊद इब्राहिम के शुरुआती ठिकानों के बारे में बताया था। राशिद ने बॉलिवुड के प्रसिद्ध अभिनेता दिलीप कुमार की बहन से शादी की थी।

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बीवी कुमार ने आगे कहा कि अंडरवर्ल्ड के डॉन, विशेष रूप से दाऊद इब्राहिम और हाजी मस्तान पर किताब लिखने का उनका उद्देश्य दक्षिण एशिया के सबसे खूंखार गिरोहों के खिलाफ शुरुआती कठोर कार्रवाई में डीआरआई के अद्वितीय योगदान के बारे में बताना था।

कुमार ने कहा, 'डीआरआई दाऊद को हिरासत में लेने, उससे पूछताछ करने और उसके खिलाफ सीओएफईपीओएसए (COFEPOSA) के अंतर्गत मामला दर्ज करने वाली प्रमुख एजेंसी थी। मैंने जब दाऊद को गिरफ्तार किया (जुलाई 1983) तो गुजरात के हाई कोर्ट में इसकी तत्काल सुनवाई के लिए एक याचिका दायर की गई। डॉन की तरफ से अदालत में राम जेठमलानी पेश हुए।'

'खूनी संघर्ष के कारण वहां था खौफ'

बाद में जमानत पाने और दुबई भागने वाला दाऊद डीआरआई द्वारा सीओएफईपीओएसए के अंतर्गत अभी भी वांछित है। यह मामला बीवी कुमार ने दर्ज किया था। कुमार भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के उन चुनिंदा अधिकारियों में से हैं, जिन्होंने डीआरआई के साथ-साथ मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) का भी नेतृत्व किया है। उनका करियर शानदार रहा, जिसमें उन्होंने मुंबई में अंडरवर्ल्ड के कुख्यात गिरोहों को कुचल दिया।

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दाऊद से अपनी मुठभेड़ के बारे में कुमार ने कहा कि वह 80 के दशक के मध्य में अहमदाबाद में सीमा शुल्क आयुक्त के तौर पर नियुक्त थे। तब दाऊद और करीम लाला के गिरोहों के बीच खूनी संघर्ष के कारण वहां खौफ था, जिससे महाराष्ट्र और गुजरात में शांति-व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित थी। कुमार ने अपनी किताब में लिखा है कि एक दिन पोरबंदर से सड़क मार्ग से मुंबई लौटते वक्त, कार में पीछे की सीट पर बैठे उनके सहयोगी द्वारा चलाई गई गोली धोखे से दाऊद को लग गई। उन्होंने निशाना डी-कंपनी के विरोधी करीम लाला के करीबी आलमजेब पर लगाया था।

'दाऊद की गर्दन में लगी गोली'

पूर्व आईआरएस अधिकारी ने अपनी किताब में खुलासा किया है कि गोली दाऊद की गर्दन में लगी, लेकिन चोट मामूली थी। डॉन को बड़ौदा के सयाजी हॉस्पिटल ले जाया गया। उन्होंने कहा, ‘मुझे घटना की जानकारी दी गई और मैंने तुरंत बड़ौदा के पुलिस आयुक्त पीके दत्ता से बात की।’

कुमार ने कहा, ‘बाद में पूछताछ में दाऊद ने स्वीकार किया वह नंबर दो का धंधा करता है। वह मुझसे हिंदी में बात कर रहा था। मुझे वह एक शांत व्यक्ति लगा जो शांत दिखता था। दत्ता के कार्यालय में लगभग आधा घंटे तक पूछताछ चली। इसके बाद मैं अहमदाबाद लौट आया और सीओएफईपीओएसए के अंतर्गत दाऊद के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट प्राप्त किया।’

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'दाऊद ने सभी को खरीद लिया'

कुमार से जब यह पूछा गया कि दाऊद एशिया के सबसे खतरनाक डॉनों में कैसे शामिल हो गया, तो उन्होंने कहा कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी इसके पीछे सबसे बड़ा कारण प्रतीत होती है। उन्होंने कहा, ‘दाऊद ने सभी को पैसों से खरीद लिया। बॉलिवुड कलाकारों से क्रिकेटर और शायद कुछ बड़े राजनेताओं को भी। लेकिन मेरे विचार से भारत के संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ प्रत्यर्पण संधि करते ही, दाऊद को दुबई छोड़ना पड़ा और उसने पाकिस्तान में स्थाई शरण ले ली।’

उन्होंने कहा, ‘वह अब उतना प्रभावशाली नहीं बचा है, जितना वह दुबई में था, जहां वह कई सेलीब्रिटीज के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलता था।’ कुमार का मानना है कि दाऊद इन दिनों ठीक नहीं है और वह शायद अपनी अंतिम सांस तक पाकिस्तान में ही रहे।

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