इस तारीख से शुरू होगी कड़ाके की सर्दी, भीषण गर्मी से मिलेगी निजात: मौसम विभाग
सितंबर का महीना खत्म होने में अभी 9 दिन का समय शेष है। लेकिन न तो उमस कम हो रही है और न ही तापमान में कोई खास गिरावट ही देखने को मिल रही है।
नई दिल्ली: सितंबर का महीना खत्म होने में अभी 9 दिन का समय शेष है। लेकिन न तो उमस कम हो रही है और न ही तापमान में कोई खास गिरावट ही देखने को मिल रही है। आकाश में कुछ देर के लिए बादल छाते भी हैं, लेकिन या तो बिन बरसे फिर हल्की बूंदाबांदी करके ही फिर से गायब हो जाते हैं।
जिस तरह की गर्मी पड़ रही है और अभी हवा का बहना बंद है। उसे देखते हुए आने वाले दिनों में तेज बारिश के आसार कम ही नजर आ रहे हैं। जबकि मानसून अब खत्म होने ही वाला है है। सितम्बर के महीने में जितनी बारिश होनी चाहिए थी उतनी नहीं हुई।
क्या मानसून खत्म हो चुका है? यहां जानिए जवाब
आगे चलकर ऐसे में कैसा रहेगा मौसम, भीषण गर्मी से कब तक निजात मिलेगी और सर्दी का पड़ना कब से शुरू हो सकता है। ऐसे तमाम सवालों के जवाब भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डा. मृत्युंजय महापात्रा से जानने की कोशिश की गई। तो आइये जानते हैं कि डा. महापात्रा ने मौसम के बारे में क्या कुछ बताया।
उनसे पूछा गया कि क्या अब आगे बारिश नहीं होगी और क्या क्या मानसून खत्म हो चुका है? इसके जवाब में उन्होंने बताया कि अभी मानसून खत्म नहीं हुआ है। इसका मतलब साफ़ है कि अभी अगले कुछ दिनों में फिर से बारिश हो सकती है।
मानसून की जिस तरह की गतिविधियां अभी पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में चल रही हैं। उसे देखते हुए बारिश से इनकार नहीं किया जा सकता है।
वैसे दिल्ली में तेज बारिश की तो अब कोई संभावना नजर नहीं आ रही, लेकिन हल्की बारिश आगे चलकर हो सकती है।
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पहले भी पड़ती आई है ऐसी गर्मी
जब उनसे पूछा गया कि सितंबर माह में अप्रैल-मई जैसी गर्मी एहसास क्यों हो रहा है। इस पर डा. मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि जब मानसून का जाने का वक्त करीब होता है तो मौसम शुष्क होने लगता है।
हवा भी पूर्वी या दक्षिणी पूर्वी होने लगती है। इससे गर्मी और तापमान दोनों में वृद्धि होती है। सितंबर के उत्तरार्थ एवं अक्टूबर के पूर्वार्ध में गर्मी का महसूस होना ये कोई असामान्य नहीं है। बल्कि पहले भी ऐसा होता आया है।
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सितंबर में इन राज्यों में हुई उम्मीद से कम बारिश
जब उनसे पूछा गया कि इस बार सितंबर माह में बारिश पहल के मुकाबले कम क्यों हुई तो उन्होंने बताया कि सितंबर माह में अभी तक केवल 20.9 फीसद बारिश हुई है। दरअसल, बारिश के लिए कम दबाव का क्षेत्र बनना जरूरी है।
यह बंगाल की खाड़ी से बनता है और देश के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचता है। लेकिन दिल्ली तक इस बार इसका प्रभाव काफी कम रहा है। इसी तरह मानसून की रेखा भी राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं दक्षिणी उत्तर प्रदेश की तरफ तो पहुंची, लेकिन दिल्ली को छूकर निकल गई। इसीलिए दिल्ली में मानसून की बारिश इस बार कम रही है।
यह इस सामान्य माह की सामान्य बारिश यानि 58.3 मि.मी. के आंकड़े से 64 फीसद कम है। लेकिन सिर्फ दिल्ली ही नहीं, उत्तर पश्चिम भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में भी 15 फीसद तक कम बारिश हुई है।
मौसम के बदलने की उम्मीद फिलहाल नहीं
उन्होंने ये भी बताया कि अभी जिस तरह के हालात नजर आ रहे हैं उसे देखते हुए हाल फिलहाल तो मौसम बदलने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है। अभी पूर्वी हवाएं चल रही हैं। इससे उमस भरी गर्मी बनी रहेगी।
उन्होंने बताया मौसम में बदलाव की संभावना अक्टूबर माह के उत्तरार्ध तक ही की जानी चाहिए। इससे पहले नहीं। तब हवा की दिशा उत्तर पश्चिमी या पश्चिमी हो जाएगी। इन हवाओं में ठंडक एवं नमी दोनों होती है। इन्हीं के प्रभाव से तापमान में कमी आनी शुरू होगी।
कंपकंपाती सर्दी दिसंबर से
डा. मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि अक्टूबर के उत्तरार्ध में तापमान में गिरावट आएगी। नवंबर में सर्दी का एहसास होने लगेगा। कंपकंपाती सर्दी दिसंबर, जनवरी औैर फरवरी में पड़ेगी।
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