देहरादून: उत्तराखंड सरकार युवा उद्यमियों को सौगात देने की तैयारी में है। इसके लिए स्टार्ट-अप पॉलिसी में संशोधन की तैयारी है। इससे किसी भी नए उद्योग को लेकर सात साल पहले शुरुआत करने वाले युवा उद्यमी भी इसके लाभ के दायरे में आ जाएंगे। अभी यह अवधि पांच साल ही थी। समय अवधि बढ़ाने से ऐसी कंपनियों और फर्मों को स्टार्ट अप नीति में टैक्स छूट और इनसेंटिव का लाभ मिलेगा। यह कदम केंद्र की पॉलिसी के तहत किए जा रहे हैं।
उत्तराखंड सरकार राज्य की स्टार्ट-अप पॉलिसी को परिभाषित करने के साथ ही तीन स्टेज स्टार्ट-अप, बूट-अप और स्केल-अप पर इनसेंटिव को भी बढ़ा सकती है। गौरतलब है कि अन्य राज्यों के मुकाबले उत्तराखंड की स्टार्टअप पॉलिसी में काफी अंतर था।
अब उत्तराखंड में स्टार्ट-अप उन्हीं फर्म या कंपनी को माना जाएगा, जिनकी पंजीकरण तिथि से अभी तक सात साल की अवधि पूरी नहीं हुई है। पुरानी पॉलिसी में यह सीमा पांच साल थी। जबकि 25 करोड़ से अधिक टर्नओवर करने वाली कंपनी को स्टार्ट-अप का लाभ नहीं मिलेगा। जैव प्रौद्योगिक के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों के लिए यह अवधि सात साल से बढ़ाकर 10 साल की गई है।
स्टार्ट-अप योजना में शामिल कंपनी या फर्म को तीन साल तक आयकर में छूट मिलेगी। इसके अलावा तीन साल तक कंपनी का निरीक्षण नहीं किया जाएगा। नई नीति लागू करने में इन्वेस्ट इंडिया एजेंसी, बिजनेस सलाह, सूचना तकनीकी, मार्केट रणनीति के साथ राज्य में निवेश के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहित करने व नीति निर्धारण में सहयोग करेगी।
केंद्र की अधिकृत एजेंसी इन्वेस्ट इंडिया की सलाह पर उत्तराखंड सरकार यह कदम उठाने जा रही है। राज्य में स्टार्ट-अप पॉलिसी को क्रियान्वित करने के लिए प्रदेश सरकार ने इन्वेस्ट इंडिया एजेंसी के साथ समझौता करार किया है।