Summer Disease: हीट वेव, हीट डोम और हीट स्ट्रोक में क्या है अंतर, जानें इससे कैसे बचें
Summer Disease: कई लोगों की मौत का कारण गर्मी और उससे होने वाली घुटन बनती जा रही है। ऐसे में ये बेहद जरूरी हो गया है कि लोग गर्मी के हीट वेव, हीट डोम और हीट स्ट्रोक में होने वाले अंतर को ठीक से समझे। ताकि गर्मी से होने वाली मौत और बिमारियों को रोका जा सके।
Summer Season: गर्मियों का मौसम चल रहा है। पारा अभी से 40 के पार जा रहा है। ऐसे में लोगों का जीवन काफी कष्टमय होता जा रहा है । कई लोगों की मौत का कारण गर्मी और उससे होने वाली घुटन बनती जा रही है। ऐसे में ये बेहद जरूरी हो गया है कि लोग गर्मी के हीट वेव, हीट डोम और हीट स्ट्रोक में होने वाले अंतर को ठीक से समझे। ताकि गर्मी से होने वाली मौत और बिमारियों को रोका जा सके।
हीट वेव, हीट डोम और हीट स्ट्रोक में अंतर
हीट वेव (Heat wave), हीट डोम (Heat dome) और हीट स्ट्रोक (Heat stroke) सभी तापमान संबंधी आपदाओं हैं लेकिन उनमें थोड़ा अंतर होता है।
हीट वेव एक ऐसा मौसम होता है जब एक क्षेत्र में तापमान असामान्य रूप से ऊँचा हो जाता है। यह सामान्य तापमान से कम से कम 5 या 6 दिनों तक चलता है। यह सामान्यतया गर्मियों में होता है जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे ऊपर होता है।
हीट डोम एक और तापमान संबंधी आपदा होती है जो कि उच्च तापमान के कारण एक स्थान पर होती है। इसमें एक समुद्री आवेश उत्पन्न होता है जो ऊँची तापमान को संभव बनाता है। यह आमतौर पर कुछ दिनों तक चलता है और इससे बचना बहुत जरूरी होता है क्योंकि यह जीवन खतरे का कारण बन सकता है।
हीट स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है जब तापमान बहुत अधिक होता है और इससे शरीर का तापमान बढ़ जाता है। यह एक गंभीर समस्या होती है जो लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित करती है और अगर समय रहते इसका इलाज़ नहीं किया गया तो जान पर भी बन आती है।
हीट वेव, हीट डोम और हीट स्ट्रोक से होने वाली बीमारियां
उच्च तापमान और ऊष्मागतिक दबाव के कारण हीट वेव, हीट डोम और हीट स्ट्रोक कुछ खतरनाक बीमारियों का कारण बन सकते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ ऐसी बीमारियां जो हीट वेव, हीट डोम और हीट स्ट्रोक से होती हैं:
- जलवायुजनित गर्मी संबंधी बीमारियां जैसे कि गर्मी का खाराब होना या जल्दी से थक जाना।
- ऊष्माशामक अवसाद यह स्थिति ऊष्माशामक अवसाद के रूप में जानी जाती है। इसमें व्यक्ति की त्वचा शुष्क और सुखी होती है और अन्य लक्षण जैसे कि थकान और उत्साह की कमी होती है।
- गर्मी क्रैम्प की स्थिति में शरीर के अंगों में दर्द होता है और यह उच्च तापमान और ऊष्मागतिक दबाव के कारण होता है।
- इसके अलावा हीट स्ट्रोक व्यक्ति के शरीर को अधिक गर्मी के साथ प्रभावित करता है, जिससे कि कुछ अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं जैसे कि डेहाइड्रेशन, त्वचा रोग, नींद नहीं आना और दस्त जैसी पेट संबंधी समस्याएं।
हीट वेव, हीट डोम और हीट स्ट्रोक से बचने के उपाय
हीट वेव, हीट डोम और हीट स्ट्रोक से बचने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:
- पानी प्रचुर मात्रा में पीये। अपने शरीर को ठंडा रखने के लिए नियमित अंतरालों में पानी पिएं। शरीर को खुश रखने के लिए कॉफी और एल्कोहल से बचें।
- शरीर को ठंडा रखने के लिए सबसे प्रभावी तरीका विश्राम है। ऊँचे तापमान में अधिक विश्राम करने की आवश्यकता होती है।
- शरीर को शीतल रखने के लिए शॉवर लें या ठंडी जल धाराओं में नहाएं।
- एयर कंडीशनर का उपयोग करें: जब तापमान अत्यधिक बढ़ जाता है तो घर में एयर कंडीशनर का उपयोग करें। यदि एयर कंडीशनर उपलब्ध नहीं है, तो एक छत के कमरे में शीतल रखें।
- शरीर को संतुलित रखने के लिए खाने की वस्तुओं का चयन ध्यान से करें। बार-बार खाना न खाएँ। थोड़े-थोड़े अंतरालों में भोजन करें।
- तापमान के आधार पर उपयुक्त कपड़े पहनें। धूप में समय बिताते समय छत या छाता का प्रयोग जरूर करें।