तेजपाल के खिलाफ सुनवाई करने को निचली अदालत को अनुमति
सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार (7 अक्टूबर) को गोवा की एक अदालत को यौन उत्पीड़न के मामले में तहलका पत्रिका के संस्थापक संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ सुनवाई शुरू करने की इजाजत दे दी। तरुण तेजपाल पर नवंबर 2013 में अपने एक कनिष्ठ महिला सहयोगी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है।
नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार (7 अक्टूबर) को गोवा की एक अदालत को यौन उत्पीड़न के मामले में तहलका पत्रिका के संस्थापक संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ सुनवाई शुरू करने की इजाजत दे दी। तरुण तेजपाल पर नवंबर 2013 में अपने एक कनिष्ठ महिला सहयोगी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस. ए. बोबडे और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की पीठ ने निचली अदालत को मामले में गवाहों से जिरह करने को कहा है।
हालांकि शीर्ष अदालत ने निचली अदालत को मामले में फैसला सुनाने से तबतक के लिए रोक दिया है, जब तक बंबई उच्च न्यायालय में तेजपाल की ओर से उनके खिलाफ दर्ज मुकदमे के खिलाफ दी गई चुनौती पर फैसला नहीं आ जाता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को 15 मई, 2015 के अपने आदेश का जिक्र किया, जिसमें निचली अदालत को एक साल के भीतर सुनवाई पूरी करने को कहा गया था, जोकि नहीं हुआ।
निचली अदालत ने शीर्ष अदालत से और अधिक समय देने की मांग की थी। उधर, शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय को तहलका के पूर्व संपादक की याचिका पर फैसला लेने के लिए तीन महीने का समय दिया है।
बंबई उच्च न्यायालय की पणजी पीठ ने 26 नवंबर को तेजपाल के खिलाफ निचली अदालत की ओर से आरोप तय करने पर रोक लगाने से मना कर दिया था और कहा था कि निचली अदालत उच्च न्यायालय की इजाजत के बाद ही मामले में आगे की सुनवाई करेगी।
बाद में 28 नवंबर को निजली अदालत की ओर से तेजपाल के खिलाफ आधिकारिक पद का लाभ लेते हुए दुष्कर्म करने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2), 354 'ए' और 'बी' कपड़े उतारने के इरादे के साथ आपराधिक बल प्रयोग के लिए गलत तरीके से अवरोध की धारा 341 और गलत तरीके परिरोध करने के लिए धारा 342 के तहत आरोप तय किए गए थे।
तेजपाल ने इन आरोपों के लिए खुद को दोषी नहीं होने की दलील दी थी। इससे पहले एक जुलाई, 2014 को तेजपाल को जमानत देते हुए शीर्ष अदालत ने निचली अदालत को आठ महीने के भीतर सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया था और तेजपाल से सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने को कहा गया था। साथ ही, उनको अनावश्यक रूप से अदालत की कार्यवाही में रुकावट नहीं डालने को कहा गया था।
आईएएनएस