West Bengal: सुप्रीम कोर्ट ने दिया ममता सरकार को बड़ा झटका,पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में होगी केंद्रीय बलों की तैनाती

West Bengal Panchayat Elections: पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार और राज्य चुनाव आयोग की याचिकाओं को खारिज करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया।

Update:2023-06-20 14:05 IST
West Bengal Panchayat Election( Photo: Social Media)

West Bengal Panchayat Elections: पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार और राज्य चुनाव आयोग की याचिकाओं को खारिज करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पश्चिम बंगाल में आठ जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती का रास्ता साफ हो गया है।

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस मनोज मिश्रा की वेकेशनल बेंच ने मंगलवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा का पुराना इतिहास रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि आखिर राज्य सरकार और चुनाव आयोग को केंद्रीय बलों की तैनाती पर क्या एतराज है? शीर्ष अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि हिंसा के साथ चुनाव नहीं कराए जा सकते। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ममता सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

निष्पक्ष चुनाव कराना आयोग की जिम्मेदारी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव पूरी तरह निष्पक्ष होना चाहिए और निष्पक्ष चुनाव कराना चुनाव आयोग की बड़ी जिम्मेदारी है। शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराए जाने की दलील को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय बलों की तैनाती से चुनाव आयोग या राज्य सरकार को क्या दिक्कत हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि चुनाव कराना हिंसा कराने का लाइसेंस नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की पीठ ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट की ओर से दिया गया आदेश राज्य चुनाव आयोग को निष्पक्ष और हिंसा मुक्त चुनाव कराने में मदद करेगा। हाईकोर्ट की ओर से 48 घंटे में पश्चिम बंगाल के हर जिले में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया गया था जिसके खिलाफ राज्य सरकार और चुनाव आयोग की ओर से शीर्ष अदालत में याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई जिसके बाद अदालत ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया।

राज्य सरकार और आयोग की दलीलें खारिज

जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि राज्य में 2013 और 2018 के पंचायत चुनाव के दौरान भी व्यापक तौर पर हिंसा हुई थी और इसलिए हाईकोर्ट की ओर से केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया गया है। किसी भी चुनाव को पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष होना चाहिए और हिंसा के माहौल में कभी भी निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव नहीं कराया जा सकता। पश्चिम बंगाल सरकार के वकील का कहना था कि 2013 में राज्य सरकार ने खुद केंद्रीय बलों की मांग की थी। उन्होंने कहा कि 2013 और 2023 की स्थिति में काफी अंतर आ चुका है।

राज्य चुनाव आयोग की वकील मीनाक्षी अरोड़ा का कहना था कि यह कहना पूरी तरह गलत है कि राज्य चुनाव आयोग की ओर से अभी तक कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के संवेदनशील बूथों की पहचान की जा रही है। बंगाल सरकार की दलील थी कि राज्य सरकार के परामर्श से चुनाव आयोग कोई फैसला लेता है और उस पर कोई फैसला थोपा नहीं जा सकता। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को पूरी तरह खारिज कर दिया।

राज्य के कई जिलों में हिंसा की घटनाएं

पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए 8 जुलाई को मतदान होना है। 15 जून को नामांकन की आखिरी तारीख थी मगर राज्य के कई हिस्सों से हिंसा की खबरें सामने आ चुकी हैं। राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने भी हिंसा की इन घटनाओं पर आपत्ति जताते हुए राज्य निर्वाचन आयुक्त को तलब किया था। उन्होंने हिंसाग्रस्त इलाके का दौरा भी किया था जिस पर टीएमसी ने तीखी आपत्ति जताई थी।

हिंसा की घटनाओं को लेकर विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। भाजपा और कांग्रेस का आरोप है कि राज्य प्रशासन और पुलिस की मदद से तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता हिंसा पर उतारू हैं। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस ने विपक्ष के इन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि विपक्ष के पास पंचायत चुनाव के लिए दमदार उम्मीदवार नहीं हैं और इसी कारण टीएमसी पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं।

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