जयंती स्पेशल: विवेकानंद की वो भविष्यवाणियां जो हुईं सच, जानिए अनसुनी बातें
विवेकानंद ने पहले ही बता दिया था कि भविष्य में क्या होने वाला है। देश को कब आजादी मिलेगा, भारत को किस देश से सबसे ज्यादा खतरा होगा और यहां तक कि अपनी मृत्यु को भी लेकर उन्होंने बहुत पहले ही आगाह किया था।
नई दिल्ली: आपने स्वामी विवेकानंद के बारे में तो सुना ही होगा। विवेकानंद ही वो शख्स हैं, जिन्होंने दुनियाभर में भारत के अध्यात्म का डंका बजाया। आज स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन है। वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु का जन्म आज ही के दिन 1863 को कलकत्ता में हुआ था। विवेकानंद को पूरी दुनिया भारत के महान 'हिंदू संन्यासी’ के रूप में जानती है। विकेकानंद का असली नाम नरेंद्र नाथ दत्त था।
युवाओं को दिखाया सफलता का रास्ता
वैसे तो स्वामी विवेकानंद से जुड़ी बातें जग जाहिर हैं। उनके विचार से ना केवल देश बल्कि विदेशों के लोग भी प्रभावित हो जाया करते थे। हो भी क्यों ना स्वामी विवेकानंद जिस सादगी और सरलता से अपनी बातें सभी के सामने रखते थे, लोगों को मानो मोहित करने का काम करते थे। उनके विचारों ने बड़े बुजुर्गों से लेकर युवाओं को सफलता का रास्ता दिखाया है। आज के युवा भी स्वामी विवेकानंद के विचारों से काफी प्रभावित रहते हैं।
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वो भविष्यवाणियां जो हुईं सच
आज स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन के अवसर पर हम आपको उनसे जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं। कुछ ऐसी बातें जिनके बारे में उन्होंने बहुत पहले ही बता दिया था। विवेकानंद ने पहले ही बता दिया था कि भविष्य में क्या होने वाला है। देश को कब आजादी मिलेगा, भारत को किस देश से सबसे ज्यादा खतरा होगा और यहां तक कि अपनी मृत्यु को भी लेकर उन्होंने बहुत पहले ही आगाह किया था। आज हम उन्हीं बातों को आपसे साझा करने जा रहे हैं-
50 साल बाद देश के आजाद होने की बात
स्वामी स्वामी विवेकानंद ने एक नवंबर 1896 को अपनी एक अनुयायी को एक पत्र लिखा था। उसमें ही उन्होंने इन सभी बातों का जिक्र किया था। उन्होंने इस पत्र में विस्तार से बताया कि 50 साल बाद क्या होगा। विवेकानंद ने बताया था कि 50 साल बाद भारत आजाद हो जाएगा। सभी भगवान को भूलकर केवल भारत माता को याद करेंगे और उनके सामने नतमस्तक होंगे। तब अंग्रेजों को यहां से जाना होगा और करीब 50 साल बिल्कुल ही ऐसा हुआ। अंग्रेजों का शासन भारत से खत्म हुआ और वो चले गए और आखिरकार भारत माता की परतंत्रता की बेड़ियां खुल गईं।
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चीन होगा सबसे बड़ा खतरा
केवल इतना ही नहीं उन्होंने यह भी संभावना जताई थी कि जब अंग्रेज भारत छोड़कर चले जाएंगे, तो देश के सामने सबसे बड़ा खतरा चीन का होगा। स्वामी विवेकानंद की ये भी बात सही निकली। आजादी के बाद साल 1962 में भारत का चीन से युद्ध हुआ, जिसमें भारत को ना केवल गहरा नुकसान हुआ, बल्कि वैश्विक तौर पर भी देश की छवि को भारी क्षति पहुंची।
विवेकानंद ने इस पत्र में यह संभावना जताई थी कि दुनिया में अंग्रेजों के बाद चीन और रूस मिलकर कमांड कर सकते हैं। अगली जो भी खास बातें होंगी, वो रूस और चीन से ही आएगी।
मृत्यु को लेकर की थी भविष्यवाणी
उन्होंने तो अपनी मृत्यु को लेकर भी पहले ही बता दिया था। बता दें कि युवावस्था में ही स्वामी विवेकानंद शुगर, दमा जैसी बीमारियों से पीड़ित हो गए थे। तब उन्होंने कहा था कि ये बीमारियां मुझे 40 साल भी पार नहीं करनी देंगी। हुआ भी बिल्कुल ऐसा ही उन्होंने केवल 39 वर्ष की आयु में ही 4 जुलाई 1902 को बेलूर स्थित रामकृष्ण मठ में महासमाधि लेते हुए अपने प्राण त्याग दिए।
आपको बता दें कि स्वामी विवेकानंद का अंतिम संस्कार बेलूर में गंगा तट पर किया गया था। ये वहीं गंगा तट था, जिसके दूसरी ओर उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का अंतिम संस्कार हुआ था।
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