तेजस ने भरी उड़ान: दुश्मन देश की हालत खराब, भारत की है ताकतवर 'फ्लाइंग बुलेट्स'
देश में महामारी के संकट के चलते चीन और नेपाल से सीमाओं पर तनातनी की चर्चाएं जोरो-शोरों पर हैं। ऐसे में आज स्वदेशी विमान तेजस की दूसरी स्क्वाड्रन वायुसेना में सम्मिलित हो गई है।
नई दिल्ली। देश में महामारी के संकट के चलते चीन और नेपाल से सीमाओं पर तनातनी की चर्चाएं जोरो-शोरों पर हैं। ऐसे में आज स्वदेशी विमान तेजस की दूसरी स्क्वाड्रन वायुसेना में सम्मिलित हो गई है। वायुसेना की इस स्क्वाड्रन का नाम फ्लाइंग बुलेट्स दिया गया है। बता दें दूसरी स्क्वाड्रन की शुरुआत वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने की है। इसके साथ ही खुद वायुसेना प्रमुख ने तेजस लड़ाकू विमान में उड़ान भरी है।
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सुलूर एयरफोर्स स्टेशन
स्वदेशी विमान तेजस के इस कार्यक्रम का आयोजन तमिलनाडु के कोयम्बटूर के पास सुलूर एयरफोर्स स्टेशन पर किया गया है। ये दूसरी स्क्वाड्रन एलएसी तेजस विमान से लैस है। बता दें, तेजस को उड़ाने वाली वायुसेना की यह दूसरी स्क्वाड्रन है।
भारतीय वायुसेना ने हल्के लड़ाकू विमान तेजस को एचएएल से खरीदा गया है। इसके लिए नवंबर 2016 में भारतीय वायुसेना ने 50,025 करोड़ रुपए में 83 तेजस मार्क-1 ए की खरीदी को मंजूरी दी थी। इस समझौते पर आखिरी समझौता लगभग 40 हजार करोड़ रुपए में हुआ है। मतलब की पुराने दामों से लगभग 10 हजार करो़ड़ रुपए कम में।
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1 अप्रैल को सुलूर में फिर से शुरू
जानकारी के लिए बता दें कि इंडियन एयरफोर्स स्क्वाड्रन 18 की शुरुआत 1965 को आदर्श वाक्य 'तीव्र और निर्भय' के साथ हुई थी। वायुसेना की इस स्क्वाड्रन 15 अप्रैल 2016 से पहले मिग 27 विमान उड़ा रही थी। स्क्वाड्रन को इस साल 1 अप्रैल को सुलूर में फिर से शुरू किया गया था।
साथ ही अगर लड़ाकू विमान तेजस के बारे में बात करें तो ये एक चौथी पीढ़ी का हल्का विमान है। इसकी तुलना अपने जेनरेशन के सभी फाइटर जेट्स में सबसे हल्के विमान के तौर पर होती है।
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विमानों की पहली खेप में फ्रांस
स्क्वाड्रन की कमी से जूझ रही भारतीय वायुसेना को इसी साल 36 रफाल लड़ाकू विमानों की पहली खेप में फ्रांस से मिलने जा रही है। इसी के चलते तेजस की एक नई स्क्वाड्रन का सम्मिलित होना राहत की बात है।
आपकों बता दें, कि बीते कई दिनों से भारत की चीन और नेपाल के साथ तगड़ी तनातनी जारी है। पिछले दिनों लद्दाख में चीन और भारत के सैनिक आमने-सामने आ गए, जिसके बाद से ही बॉर्डर पर जवानों की संख्या बढ़ाई गई है। इन हालातों को देखते हुए ही भारत ने भी अपनी क्षमता को बढ़ाया है।
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