Telangana Elections 2023: तेलंगाना में ब्राह्मण वोटों पर केसीआर ने डोरे डाले

Telangana Elections 2023: मुख्यमंत्री ने सेरीलिंगमपल्ली विधानसभा क्षेत्र के गोपनपल्ली में सात एकड़ भूमि पर "विप्रहित ब्राह्मण संक्षेम सदन" का उद्घाटन करते हुए यह घोषणा की।

Update:2023-06-12 10:55 IST
CM K. Chandrasekhar Rao (PHOTO: social media)

Telangana Elections 2023: तेलंगाना में विधानसभा चुनावों से पहले वोटों की गोलबंदी शुरू हो चुकी है। इसी क्रम में ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने के लिए मुख्यमंत्री तथा बीआरएस सुप्रीमो के चंद्रशेखर राव ने पांसा फेंका है।

गांवों में प्रभाव रखने वाले ब्राह्मणों को लुभाने के लिए, चंद्रशेखर राव ने राज्य में वैदिक विद्वानों को दिए जाने वाले मानदेय को 3,500 से बढ़ाकर 5,000 रुपये प्रति माह कर दिया है।मुख्यमंत्री ने सेरीलिंगमपल्ली विधानसभा क्षेत्र के गोपनपल्ली में सात एकड़ भूमि पर "विप्रहित ब्राह्मण संक्षेम सदन" का उद्घाटन करते हुए यह घोषणा की। लेकिन उन्होंने वृद्ध विद्वानों को नाराज भी कर दिया है। क्योंकि मानदेय प्राप्त करने की ऊपरी आयु सीमा 75 वर्ष से घटाकर 65 वर्ष कर दी गई है।

धूप दीप नैवेद्यम योजना

मुख्यमंत्री ने धूप दीपा नैवेद्यम योजना के विस्तार की भी घोषणा की। छोटे मंदिरों को सहायता प्रदान करने वाली इस योजना में 3,796 और छोटे मंदिरों को मदद दी जाएगी। योजना के तहत पहले से ही 3,654 मंदिर आते हैं।।सरकार ने योजना के तहत इन मंदिरों में अर्चकों या पुजारियों को देय राशि को 6,000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया है।

ब्राह्मण समाज पर डोरे

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश, इन दो तेलुगु राज्यों में ब्राह्मणों की आबादी लगभग तीन प्रतिशत होने का अनुमान है। भाजपा पहले ही 10 प्रतिशत आरक्षण के साथ आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के बीच ब्राह्मणों को प्रभावित करने में बाजी मार चुकी है। अन्य पार्टियां भी अब दौड़ में आगे बढ़ने की कोशिश कर रही हैं। इसके तहत पुजारियों को खुश किया जा रहा है। पुजारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक हैं । क्योंकि वे मंदिरों में देवताओं की पूजा करते हैं, साथ ही किसी ब्राह्मण की मदद करना गांवों में एक सद्भावना संकेत माना जाता है। इस संदर्भ में सभी राजनीतिक दल इन दोनों राज्यों में ब्राह्मणों के प्रभाव को समझते हुए उनके साथ तालमेल बिठाने की कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस का साथ

परंपरागत रूप से तेलुगु राज्यों में ब्राह्मण कांग्रेस के समर्थक रहे हैं। लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि तेलंगाना में ब्राह्मण समुदाय हिंदुत्व के प्रभाव, ईडब्ल्यूएस आरक्षण और कांग्रेस के कमजोर होने के कारण भाजपा की ओर चला गया है।

केसीआर ने जनवरी 2017 में 100 करोड़ रुपये के कोष के साथ "तेलंगाना ब्राह्मण संक्षेमा परिषद" की स्थापना की थी, जिसके तहत ब्राह्मणों और उनके बच्चों के लाभ के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गईं है। लेकिन इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि ब्राह्मण वास्तव में उसके प्रभाव में आ गए हैं। माना जाता है कि तेलंगाना में वे भाजपा के करीब चले गए हैं।

आंध्र प्रदेश में ब्राह्मण टीडीपी के विरोध में रहे हैं, लेकिन ये समुदाय वाईएसआरसीपी के सुप्रीमो को समर्थन देने में हिचकिचाहट है। वजह ये है कि मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी एक ईसाई हैं । जो अपने धर्म के समर्थन से गुरेज नहीं करते हैं। जगन मोहन रेड्डी ने ब्राह्मण समुदाय के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश की। लेकिन ज्यादा आगे नहीं बढ़ सके क्योंकि उनकी पार्टी की पहचान मूल रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से है। "अभी भी कई ब्राह्मण वाईएसआरसीपी के साथ बहुत सहज नहीं हैं।

बहरहाल, वोट खींचने की तैयारी जोरों पर है। अब देखना रोचक होगा कि इस तरह की राजनीति के चुनावी परिणाम क्या होते हैं।

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