स्कूल में इमला बोलकर दी जाती थी आतंकवादी बनने की कोचिंग, 3 शिक्षक अरेस्ट

आईजी कश्मीर विजय कुमार ने श्रीनगर में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बताया कि दक्षिण कश्मीर के शोपियां में इमाम साहिब स्थित सिराजुल-उल इमाम साहब नामक स्कूल का प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी आर्गेनाईजेशन से ताल्लुक है।

Update: 2020-10-13 06:56 GMT
इसमें पुलवामा हमले का आरोपी सज्जाद भट और जुबैर नेगरू के अलावा 13 पूर्व छात्रों की सूची में हिजबुल मुजाहिदीन का नाजिर नजीम डार और एजाज अहमद भी शामिल हैं।

जम्मू-कश्मीर: शोपियां में चल रही थी आतंक की नर्सरी, धार्मिक स्कूल के तीन शिक्षक पीएसए के तहत गिरफ्तार

जम्मू कश्मीर पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है।

शोपियां इलाके में लम्बे समय से आतंक की नर्सरी संचालित हो रही थी। यहां एक धार्मिक स्कूल के पूर्व छात्रों को आतंकी गतिविधियों में संलग्न पाए जाने के बाद पुलिस ने सोमवार को तीन शिक्षकों को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम(पीएसए) के अंतर्गत अरेस्ट कर लिया है।

शोपियां से अरेस्ट किये गये शिक्षकों की पहचान मोहम्मद यूसुफ वानी, अब्दुल अहद भट और अब्दुल रऊफ भट के रूप में हुई है।

आतंकवादियों की फोटो(सोशल मीडिया)

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पुलवामा हमले का आरोपी सज्जाद भट और जुबैर नेगरू का भी नाम आया सामने

खास बात ये है कि इसमें पुलवामा हमले का आरोपी सज्जाद भट और जुबैर नेगरू के अलावा 13 पूर्व छात्रों की सूची में हिजबुल मुजाहिदीन का नाजिर नजीम डार और एजाज अहमद भी शामिल हैं।

इस बारें में आईजी कश्मीर विजय कुमार ने श्रीनगर में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बताया कि दक्षिण कश्मीर के शोपियां में इमाम साहिब स्थित सिराजुल-उल इमाम साहब नामक स्कूल का प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी आर्गेनाईजेशन से ताल्लुक है।

इन सभी को आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में अरेस्ट किया गया है। उन्होंने ये भी बताया कि अभी पांच से छह स्कूल शिक्षक निगरानी में हैं, उनके खिलाफ जांच जारी है।

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किताब की फोटो(सोशल मीडिया)

स्कूल के खिलाफ भी होगा एक्शन

पहली बार वह स्कूल सुरक्षा एजेंसियों की नजर में तब आया जब यह पता लगा कि उसके 13 पूर्व छात्र आतंकी गतिविधियों में संलिप्त हैं।

उन्होंने ये भी कहा फिलहाल हम व्यक्तियों के खिलाफ ही अभी कार्रवाई कर रहे हैं लेकिन अगर आवश्यकता पड़ी तो हम स्कूल के खिलाफ भी एक्शन लेने से पीछे नहीं हटेंगे।

गौरतलब है कि पीएसए (सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम) के अंतर्गत पुलिस बिना किसी मुकदमे के दो साल तक किसी भी व्यक्ति को अपनी कस्टडी में पूछताछ के लिए रख सकती है।

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