बीजू पटनायक: नेहरू के एक बोली पर पहुंचे इंडोनेशिया, दिया डचों को करारा जवाब

1942 में क्विट इंडिया मोमेंट शुरू हुआ तो बीजू पटनायक प्लेन के माध्यम से इसका प्रचार प्रसार किया था। अंग्रेजों को उनका ये काम पसंद नहीं आया और साल 1943 में उन्हें जेल में डाल दिया और उन्हें खूब प्रताड़ित किया।

Update: 2021-03-05 07:07 GMT
बीजू पटनायक: नेहरू के एक बोली पर पहुंचे इंडोनेशिया, दिया डचों को करारा जवाब

लखनऊ: समय था मार्च 1947 का, जब 23 मार्च 1947 को भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 22 एशियाई देशों को पहली इंटर एशिया कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए कई देशों को आमंत्रित किया। इस कॉन्फ्रेंस में इंडोनेशिया के प्रधानमंत्री सुल्तान सजाहिर्र भी आमंत्रित थे लेकिन उस समय इंडोनेशिया में डच का कंट्रोल किया करते थे। सुल्तान सजाहिर्र को डच ने सख्त आदेश मिले थे, कि अगर तुम गए तो तुम्हरी खैर नहीं।

इंडोनेशिया के पीएम को ऐसे लेकर आए भारत

जब इसकी जानकारी पीएम नेहरू को लगी, तो उन्होंने एक पायलट से कहा कि तुम उन्हें लेकर आओ। वह पायलट इंडोनेशिया गया। डच ने पायलट को धमकी देते हुए कहा था, “अगर तुमने पीएम सुल्तान को भारत ले जाने की कोशिश की तो तुम्हें गोली मार देगे। तब पाटलट ने जवाब देते हुए कहा कि मार दो गोली लेकिन याद रखना डच साम्राज्य का कोई भी प्लेन भारत के ऊपर से उड़ेगा तो उन सबको मार गिरा दिया जाएगा। अगर तुम एक मारोगे तो हम 100 मारेंगे।” पायलट का जवाब सुनते ही डच पीछे हो गए और पीएम सुल्तान भारत आए और कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए। बता दें कि इस बहादूर पायलट का नाम था ‘बीजू पटनायक’।

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बीजू दल के संस्थापक

बीजू पटनायक बीजू दल के संस्थापक और ओड़िशा के मुख्यमंत्री रह चुके थे। बीजू पटनायक प्रोफेशन से पायलट थे। लेकिन भारत के आजादी में इनका बहुमूल्य योगदान रहा है। बीजू पटनायक का जन्म 5 मार्च 1916 ओड़िशा के कटक में हुआ था। उन्हें प्लेन उड़ाना का काफी शौक था, इसी वजह से उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा बीच में ही छोड़ दी।

बापू से हुए थे प्रभावित

बीजू पटनायक महात्मा गांधी से काफी प्रभावित थे। 1927 में जब बापू खादी यात्रा पर निकले हुए थे तो बीजू पटनायक उनकी एक झलक पाने के लिए निकल गए, लेकिन अंग्रेजों ने इन्हें पकड़ लिया और खूब पीटा। तभी बीजू पटनायक ने ठान लिया की वे अंग्रेजों भारत से खदाड़ के रहेंगे। 1942 में क्विट इंडिया मोमेंट शुरू हुआ तो बीजू पटनायक प्लेन के माध्यम से इसका प्रचार प्रसार किया था। अंग्रेजों को उनका ये काम पसंद नहीं आया और साल 1943 में उन्हें जेल में डाल दिया और उन्हें खूब प्रताड़ित किया।

सेना को पहुंचाया कश्मीर

आजादी के बाद से ही कश्मीर का मुद्दा उभर के आया। इस दौरान पीएम जवाहर लाल नेहरू ने बीजू पटनायक को याद किया। बीजू पटनायक अपने प्लेन के जरिए सेना के जवानों को कश्मीर लेकर जाते थे। भारतीय सेना के बदौलत आज कश्मीर भारत का हिस्सा है।

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बीजू पटनायक का जीवन घटनाक्रम

कलिंग फाउंडेशन ट्रस्ट की स्थापना- 1952

उड़ीसा के मुख्यमंत्री- 1961-63

आपातकाल में जेल में रहे- 1975

संसद के निर्वाचित सदस्य- 1977

केंद्र में इस्पात और खनन मंत्री- 1977-79

लोकसभा के सदस्य- 1980

उड़ीसा के मुख्यमंत्री- 1990-95

लोकसभा के लिए पुनः निर्वाचित सदस्य- 1996

मृत्यु- 1997

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