सबसे खतरनाक गलेशियर: पूरी दुनिया तबाह कर सकता है, नाम थ्वाइट्स

दुनिया का सबसे खतरनाक ग्लेशियर की बात करे तो वह अंटार्कटिका का थ्वाइट्स गलेशियर(Thwaites Glacier) है। इस समय इस ग्लेशियर को लेकर काफी चर्चाएं चल रही है। अंटार्कटिका का यह ग्लेशियर पश्चिमी इलाके में स्थित है।

Update: 2021-02-08 09:24 GMT
सबसे खतरनाक गलेशियर: पूरी दुनिया तबाह कर सकता है, नाम थ्वाइट्स photos (social media)

उत्तराखंड : उत्तराखंड के चमोली में रविवार को ग्लेशियर के फटने से तबाही का मंजर देखने को मिला है। इस घटना ने उत्तराखंड के ऋषिगंगा के पावर प्रोजेक्ट को पूरी तरीके से तबाह कर दिया है। उत्तराखंड में आई इस त्रासदी में कई मजदूर अपनी जान गंवा चुके हैं। इस घटना को देखते हुए कहा जा रहा है कि यह ग्लेशियर का एक छोटा टुकड़ा था जिसने इतनी तबाही मचा दी है। आज जानते हैं दुनिया का सबसे खतरनाक ग्लेशियर के बारे में जो तबाही का मंजर आ सकता हैं।

अंटार्कटिका का थ्वाइट्स गलेशियर

दुनिया का सबसे खतरनाक ग्लेशियर की बात करे तो वह अंटार्कटिका का थ्वाइट्स गलेशियर(Thwaites Glacier) है। इस समय इस ग्लेशियर को लेकर काफी चर्चाएं चल रही है। अंटार्कटिका का यह ग्लेशियर पश्चिमी इलाके में स्थित है। आपको बता दें कि यह ग्लेशियर समुद्र के भीतर कई गुना अंदर है। इस अंटार्कटिका के ग्लेशियर को दुनिया का सबसे विशाल ग्लेशियर माना जा रहा है। इसकी चौड़ाई लगभग 468 किलोमीटर बताई जा रही है।

थ्वाइट्स गलेशियर का क्षेत्रफल 1,92,000 किलोमीटर है

अंटार्कटिका का थ्वाइट्स गलेशियर दुनिया का सबसे विशाल गलेशियर है। इस गलेशियर को लेकर कहा जा रहा है कि यह जब पिघलेगा तब पूरे दुनिया में तबाही मचा देगा। रविवार को उत्तराखंड में गलेशियर के फटने पर जो तबाही मची है वह इस गलेशियर के छोटे से टुकड़े से हुई है। थ्वाइट्स गलेशियर में छेद हो रहे हैं जिसके चलते भारी तबाही का मंजर का अनुमान लगाया जा रहा है। आपको बता दें कि इस थ्वाइट्स गलेशियर का क्षेत्रफल 1,92,000 किलोमीटर है। इस गलेशियर के पिघलने की शुरुआत हो चुकी है अब तक तीन सालों के भीतर 14 खरब बर्फ पिघल चुकी है। जो दुनिया के लिए काफी बुरा साबित दिख रहा है।

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इस गलेशियर के पिघलने से होंगे कई दुष्प्रभाव

थ्वाइट्स गलेशियर के पिघलने से कई और दुष्प्रभाव देखने को मिलेगा। इससे हमारे जीवन में पीने के पानी में इसका फर्क देखने को मिलेगा। इसके साथ गलेशियर के पिघलने से जलस्तर बढ़ेगा। नदियों को सूखने की समस्या होगी। दूसरे कई इलाकों में पानी की समस्या हो जाएगी। इस ग्लेशियर के पिघलने से पूरी दुनिया में तबाही का मंजर देखने को मिल सकता है।

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