यहां हर घर में हैं कातिल, काट रहे हैं आजीवन कारावास की सजा
दोस्तों आज देश 21वीं सदी के लिए बढ़ रहा है। आधुनिकता के इस दौर में विज्ञान और तकनीक के इस्तेमाल से इस्तेमाल से प्रगति के नित नए सोपान हम चढ़ रहे हैं। लेकिन विविधता से भरे इस देश में आज भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां जादू टोना सर चढ़ कर बोलता है।
पंडित रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: दोस्तों आज देश 21वीं सदी के लिए बढ़ रहा है। आधुनिकता के इस दौर में विज्ञान और तकनीक के इस्तेमाल से इस्तेमाल से प्रगति के नित नए सोपान हम चढ़ रहे हैं। लेकिन विविधता से भरे इस देश में आज भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां जादू टोना सर चढ़ कर बोलता है।
इसी में एस एक है कोड़ेनार थाने का इलाका जहां संभवत: एशिया में सबसे अधिक हत्याएं होने के मामले दर्ज होने का रिकार्ड है। इस क्षेत्र में जादू टोना तो सर चढ़कर बोलता ही है वहीं छोटी-छोटी बातों को लेकर अपने ही रिश्तेदार, पति-पत्नी और संतानों तक की हत्या कर दी जाती है।
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तांत्रिकों की भरमार
यह पूरा इलाका आदिवासी बहुत है। और इन आदिवासियों में माड़िया आदिवासियों की बड़ी तादाद है। इनमें ओझा, गुनी और साबर विद्या के जानकार तांत्रिकों की भरमार है जिसमें कुछ तो ऐसे हैं जो मिनटों में अपने जादू से आदमी की जान तक ले लेने का दावा करते हैं।
समाचार पत्रों में अक्सर इस तरह की खबरें आती रहती हैं जब डाइन, चुड़ैल या टोनहिन होने के शक में महिलाओं की हत्या कर दी जाती है उनके परिवारों को प्रताड़ित किया जाता है। आज हम आपको बता रहे हैं छत्तीसगढ़ के जनजाति बहुल बस्तर जिले से 40 किलोमीटर दूर घाटी पर बसे कोड़ेनार थाना क्षेत्र में आने वाले गांवों के बारे में।
पैर की धूल अथवा सिर के बाल चढ़ाते
कहा तो यहां तक जाता है कि साबरी विद्या इन लोगों को अच्छी तरह मालूम है। किसी को मारना हुआ तो देवी की मूर्ति में उस व्यक्ति के पैर की धूल अथवा सिर के बाल और कपड़ों के टुकड़ों को चढ़ाते हैं, और उसी समय से वह व्यक्ति बीमार होने लगता है और यहां तक कि चंद रोज में मर भी जाता है।
इस क्षेत्र में मुर्गे की लड़ाई में सरेआम कत्ल कर देना आम बात है। हत्या करने के बाद आदिवासी थाने में समर्पण कर देते हैं और कत्ल के कई ऐसे मामले होते हैं जिन पर गांव की सहमति अगर बन जाए तो वह मामला थाने तक नहीं पहुंच पाता।
गांव का एक अजीब ही रस्म-रिवाज है। हत्या करके जेल जाने वाले आदिवासी परिवार में अगर कोई कमाने वाला नहीं है तो पूरा गांव उस परिवार को पालता है। पचास हजार की आबादी वाले इस किलेपाल विकासखंड में लगभग चालीस हजार माड़िया जनजाति के लोग निवास कर रहे हैं।
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आजीवन कारावास की सजा
पुलिस रिकार्ड के अनुसार, इस इलाके के लगभग 22 गांव ऐसे हैं जहां हर परिवार का कोई एक सदस्य आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।
समय बदलने के साथ अब कुछ लोग ऐसे भी हुए हैं जो आजीवन कारावास की सजा काटकर आने के बाद छोटी-छोटी बातों पर हत्या होने का विरोध कर रहे हैं। यह लोग अपने गांव के लोगों को समझाते हैं और नशे से दूर रहने की सलाह देते हैं।
पिछले पैंतीस वर्षो में इस थाने में 600 से अधिक हत्या के मामले दर्ज हो चुके हैं। महज नमक, मुर्गा न मिलने, जादू टोना के संदेह, शराब, सल्फी के कारण इस इलाके में एशिया में सर्वाधिक हत्या के मामले दर्ज हैं।
इस थाने के तहत ग्राम इरपा, छोटे किलेपाल, बोदेनार ऐसे लगभग बीस गांव हैं जो 'मर्डर जोन' (हत्याओं का इलाका) में आते हैं। ज्यादातर हत्या शराब, सल्फी के नशे के कारण की जाती है। अज्ञानता, अशिक्षा, जादू टोना का संदेह, अंधविश्वास जैसे इसके मुख्य कारण हैं।
यहां ऐसे भी मामले सामने आए हैं जब मां या पत्नी द्वारा खाना देर से देने पर उनकी हत्या कर दी और फिर जेल चले गए। इन गांवों के हर परिवार का एक सदस्य आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। 1982 से लेकर अब तक इस थाने में दो सौ से अधिक हत्या के मामले दर्ज किए गए हैं।
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तीन सौ वर्ग किलोमीटर में फैला
बास्तानार विकासखंड तीन सौ वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इसमें 48,040 आबादी है, जिसमें 44,251 की संख्या में माड़िया जनजाति के लोग निवास करते हैं। 328 अनुसूचित जनजाति हैं, अन्य परिवार 3461 हैं। इस इलाके में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। पुरुष 23,107 तथा महिलाओं की संख्या 24,933 है।
इस इलाके में हुए अध्ययन के मुताबिक, बस्तर के माड़िया आदिवासियों को विपरीत भगौलिकता में न्यूनतम आवश्यकताओं में जीने वाला 'आदर्श उपभोक्ता' माना गया है। वस्तुओं की तुलना में मानव जीवन का मोल कई बार इतना तुच्छ होता है कि पिता के कत्ल के आरोप में बेटे को तो पत्नी के कत्ल के आरोप में पति को मौत के घाट उतार कर समर्पण कर दिया जाता है। जादू टोना, अंध विश्वास यहां की पहचान सी बन गई है।
किलेपाल इलाके के एक व्यक्ति ने बताया कि शराब, अशिक्षा, क्रोध थोड़ी-थोड़ी बातों में अपने ही रिश्तेदारों की, अपने ही सगे संबंधी की हत्या कर देते हैं और समर्पण कर देते हैं। उन्होंने बताया कि जिन इलाकों में शिक्षा का प्रचार-प्रसार हुआ है, उनमें पिछले पांच सालों से हत्या के मामलो में कमी आई है।
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हत्या का मामला अशिक्षा, अंध विश्वास और नशे के कारण होता है, लेकिन अब धीरे-धीरे जिन इलाकों में शिक्षा का विस्तार हो रहा है उन इलाकों में हत्या में कमी आई है। दरभा व किलेपाल की सीमाएं क्रमश: दंतेवाड़ा और सुकमा जिले की सीमाओं को छूती हैं। इन इलाकों में मौसमी बीमारियां विकराल रूप ले लेती हैं। जिसके चलते कई बार एक दूसरे पर जादू टोने का संदेह किया जाने लगता है।