Controversial Statement: उदयनिधि ही नहीं, इन नेताओं ने भी 'हिंदू धर्म' के खिलाफ दिए हैं विवादित बयान

Controversial Statement on Hinduism: सनातन धर्म को लेकर इस तरह के विवादित बयान सिर्फ उदयनिधि स्टालिन ही नहीं, बल्कि विपक्ष के और भी कई नेताओं ने दिए हैं। उन बयानों पर देश में भारी वबाल देखने को मिला है।

Update:2023-09-05 08:34 IST
Controversial Statement on Hinduism ( सोशल मीडिया)

Controversial Statement on Hinduism: तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म को लेकर दिए बयान पर मचा बवाल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। उदयनिधि के बयान को लेकर डीएमके के साथ साथ पूरे विपक्षी गठबंधन INDIA को घेरा जा रहा है। दरअसल, सनातन धर्म को लेकर इस तरह के विवादित बयान सिर्फ उदयनिधि स्टालिन ही नहीं, बल्कि विपक्ष के और भी कई नेताओं ने दिए हैं। उन बयानों पर देश में भारी वबाल देखने को मिला है। आज हम इस रिपोर्ट में ऐसे ही कुछ नेताओं के विषय में चर्चा करेंगे जिन्होने सनातन धर्म के खिलाफ विवादित बयान दिए है, जिसके बाद उन्हे भारी विरोध का सामना करना पड़ा है।

उदयनिधि स्टालिन का विवादित बयान ?

डीएमके की युवा इकाई के सचिव और तमिलनाडु के युवा कल्याण मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को समानता एवं सामाजिक न्याय के खिलाफ बताते हुए कहा कि इसका उन्मूलन किया जाना चाहिए। उदयनिधि ने कहा था कि सनातन धर्म का खात्मा जरूरी है। ये डेंगू, मलेरिया और कोरोना जैसी बीमारी की तरह है, जिसका कोई उपाय नहीं है इसे सिर्फ खत्म किया जा सकता है। वहीं, विवाद होने के बाद भी उदयनिधि स्टालिन अपने बयान से पीछे हटने को तैयार नहीं हो रहे। वह अपने विवादित बयान पर कायम हैं। उदयनिधि के खिलाफ कई जगह शिकायत भी दर्ज करवाई गई है, इस पर उन्होने कहा है कि वह सामना करने के लिए तैयार हैं।

स्वामी प्रसाद मौर्य का विवादित बयान

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य भी हिंदू धर्म को निशाना बनाते हुए विवादित बयान देते रहते हैं। हाल के दिनों में ही उन्होने कहा था कि हिंदू नाम का कोई धर्म नहीं है। हिंदू धर्म केवल धोखा है। सही मायने में ब्राह्मणवाद सारी विषमता का कारण है और उसकी जड़ें बहुत गहरी हैं। जिसके बाद से उनकी जमकर आलोचना हो रही है। इससे पहले भी उन्होने रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते हैं, सब बकवास है। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। इसलिए सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरितमानस से जो आपत्तिजनक अंश हैं, उसे बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए। इसके आगे उन्होने कहा था कि रामचरित मानस में कुछ ऐसे अंश हैं जिन पर उन्हे आपत्ति है, क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को गाली देने का कोई अधिकार नहीं है। तुलसीदास की रामायण की चौपाई है, इसमें वह शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं। इस बयान के बाद भूचाल सा आ गया था, इसके बाद से वह लगातार सनातन धर्म को टारगेट करते रहते हैं और विवादित बयान देते रहते हैं।

प्रोफेसर चंद्रशेखर सिंह ने रामचरित मानस को बताया था विवादि ग्रंथ

बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर सिंह ने नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के दौरान विवादित बयान दिया था। उन्होने शिक्षा के मंच से रामचरित मानस को नफरत फैलाने वाला विवादित ग्रंथ करार दे दिया था। इतना ही नहीं रामचरित मानस, मनु स्मृति पर विवादित बोल कहते हुए कहा कि इसमें लिखा है अधम जाति में विद्या पाए, भयहु यथा अहि दूध पिलाए अधम का मतलब होता है नीच यानि कि नीच जाति के लोगों को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार नहीं था। उसमें कहा गया है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करने के बाद जहरीले हो जाते हैं। जैसे कि सांप दूध पीने के बाद हो जाता है।

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