ऐसे करें कैलाश मानसरोवर का सफर, बन गई ये शानदार सड़क

वो पहला मौका आ ही गया है जब देश में किसी रोड को बनाने में चिनूक हेलीकॉप्टर का उपयोग किया गया। आशा तो यही जताई जा रही है कि इस नई सड़क से तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को बहुत मदद मिलेगी।

Update: 2020-05-09 08:54 GMT
ऐसे करें कैलाश मानसरोवर का सफर, बन गया ये शानदार रास्ता

नई दिल्ली: वो पहला मौका आ ही गया है जब देश में किसी रोड को बनाने में चिनूक हेलीकॉप्टर का उपयोग किया गया। आशा तो यही जताई जा रही है कि इस नई सड़क से तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को बहुत मदद मिलेगी। ये रास्ता लिपुलेख दर्रे से करीब 90 किलोमीटर दूर है। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड में चीन की सीमा से लगते हुए लिपुलेख दर्रे को 17 हजार फुट की ऊंचाई पर धारचूला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी एक सड़क का शुक्रवार को उद्घाटन किया।

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बेहद कठिनाईयों भरा क्षेत्र

जानकारी देने के लिए बता दें कि सड़क का निर्माण 2008 में शुरू हुआ था और इसे 2013 तक पूरा होना था। लेकिन नजंग से बूंदी गांव के बीच बेहद कठिनाईयों भरा क्षेत्र होने के कारण इसमें काफी समय लग गया।

ये दूरी 15 किलोमीटर की थी। इसे बनाने के लिए अमेरिका से खरीदे गए अति आधुनिक चिनूक हेलीकॉप्टर का उपयोग किया गया। यहां रोड बनाने के लिए बहुत तरह के सामान इस हेलीकॉप्टर से हीं मंगाए गए।

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चिनूक से पंहुचाया गया सामान

चिनूक हेलीकॉप्टर की सहायता से युद्ध से जुड़े हथियारों को ले जाने में मदद मिलती है। साथ ही इससे प्राकृतिक आपदा के दौरान चलने वाले सैन्य अभियानों में भी काफी मदद मिलती है।

इसकी मदद से प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों में ले जाने और राहत सामग्री जुटाने में मदद मिलती है। और ऐसे ही कठिन दुर्लभ मार्ग पर रोड बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सामानों को इस हेलीकॉप्टर से भेजा गया।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक ट्वीट में इस प्रोजेक्ट से जुड़ी तस्वीरों को शेयर किया है। यहां देखा जा सकता है कि चिनूक हेलीकॉप्टर से सामान पहुंचाया जा रहा है।

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8,048 करोड़ रुपये में चिनूक हेलीकॉप्टर

वहीं भारत ने सितंबर 2015 में बोइंग के साथ 8,048 करोड़ रुपये में 15 सीएच-47एफ़ चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदने का समझौता किया था। ये हेलीकॉप्टर बहुत भारी सामान को लाने ले जाने में सक्षम है। इस हेलीकॉप्टर की हूबी है कि यह छोटे हेलीपैड और घनी घाटियों में भी कहीं भी उतर सकता है।

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