मुसलमानों को लेकर केंद्र सरकार के एक महीने में तीन बड़े फैसले

केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के मुसलमानों को लेकर तीन बड़े फैसले एक महीने में कर साफ संकेत दे दिया कि वो तुष्टीकरण की राजनीति को किनारे करने के साथ कट्टरपंथियों के साथ कोई समझैाता नहीं करने जा रही है।केंद्र सरकार ने मंगलवार 16 जनवरी को हज पर दी जाने वाली राज सहायता को खत्म किया तो संसद

Update:2018-01-17 13:49 IST

लखनऊ: केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के मुसलमानों को लेकर तीन बड़े फैसले एक महीने में कर साफ संकेत दे दिया कि वो तुष्टीकरण की राजनीति को किनारे करने के साथ कट्टरपंथियों के साथ कोई समझैाता नहीं करने जा रही है।

केंद्र सरकार ने मंगलवार 16 जनवरी को हज पर दी जाने वाली राज सहायता को खत्म किया तो संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा से तीन तलाक बिल पास कराने में सफल हुई। इसके अलावा महिलाओं के अकेले हज पर जाने जिसे मेहरम कहते हैं को भी मंजूरी दे दी। मुस्लिम महिलाओं के लिए ये बहुत बडी राहत थी।

दुनिया के मुसलमानों की तरह भारत के मुसलमान भी सऊदी अरब हज के लिए जाते हैं। भारतीय हाजियों की यात्रा के खर्च का कुछ हिस्सा केंद्र सरकार राज सहायता के रूप में देती थी। ये राज सहायता उन यात्रियों को मिलती थी जो हज कमेटी के जरिए जाते हैं। केंद्र सरकार ने मंगलवार 16 जनवरी को हज पर दी जाने वाली राजसहायता को पूरी तरह से खत्म कर दिया।

सरकार के इस फैसले का मुसलमानों के बड़े तबके ने स्वागत किया, हालांकि कुछ लोग इससे नाराज भी हुए। केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इस पैसे को मुस्लिम महिलाओं और उनकी बच्चियों की शिक्षा पर खर्च किया जाएगा। केंद्र सरकार हर साल पांच हजार करोड़ से ज्यादा रूपया हज पर राज सहायता के रूप में देती है।

केंद्र की मोदी सरकार ने तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को निजात दिलाने का बीड़ा उठाया है। इसी के तहत तीन तलाक को जुर्म घोषित कर इसके लिए सजा मुकर्रर करने संबंधी विधेयक को 15 दिसंबर को कैबिनेट की मंजूरी मिली और 28 दिसंबर को लोकसभा ने इसे पास भी कर दिया। हालांकि राज्यसभा में एनडीए का बहुमत न होने से ये विधेयक अटका हुआ है। सरकार बजट सत्र में इस विधेयक को दोबारा पास कराने की कोशिश करेगी या अध्यादेश लाएगी। मोदी सरकार के इस कदम से जहां मुस्लिम महिलाएं खुश नजर आईं तो मुस्लिम संगठनों ने विधेयक के प्रावधानों को लेकर नाराजगी जाहिर की थी।

मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा दूसरा फैसला पुरुषों के बगैर उनके हज पर जाने का लिया है। 45 साल से ज्यादा उम्र की मुस्लिम महिलाएं अब बिना पुरुष अभिभावक के हज पर जा सकेंगी। इसी साल 1300 मुस्लिम महिलाएं बगैर पुरुष के हज पर जाएंगी। हालांकि कई मौलानाओं और संगठनों ने इस फैसले का विरोध किया और कहा कि ऐसा करना गैर-इस्लामिक और शरिया के खिलाफ है।

मुसलमानों से जुड़े मामलों पर मोदी केंद्र सरकार के फैसले के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं । इस साल 8 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और 2019 में लोकसभा चुनाव हैं। माना जा रहा है कि मोदी सरकार के इन कदमों से जो संदेश जा रहा है उसका सियासी फायदा बीजेपी को मिल सकता है।

मोदी सरकार ने अपने इन फैसलों से साफ संदेश दिया है कि सरकार कट्टरपंथियों के आगे नहीं झुकेगी और मुस्लिम तुष्टिकरण की राह पर नहीं चलेगी। सरकार तुष्टिकरण की बजाय मुस्लिम सशक्तिकरण की दिशा में काम करेगी। इससे जहां बीजेपी को मुस्लिम महिलाओं का वोट मिलने की उम्मीद है, वहीं बहुसंख्यक समाज के भी वो लोग जो कांग्रेस से मुस्लिम तुष्टिकरण की वजह से नाराज रहते थे, इन सख्त फैसलों के चलते बीजेपी से मजबूती से जुड़ेंगे।

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