मारे गए 3 आतंकी: JK पुलिस का दावा, परिवार वाले बोले- वे आतंकी नहीं थे

मुठभेड़ में मारे गए युवकों के परिवारों का कहना है कि उन लोगों का आतंकवाद से कोई संबंध नहीं था और उनमें से दो छात्र थे। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा और शोपियां जिलों के परिवारों ने यहां पुलिस नियंत्रण कक्ष के बाहर धरना दिया।

Update: 2020-12-31 07:13 GMT

श्रीनगर: पड़ोसी देश पकिस्तान की ओर से लगातार आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के कारण जम्मू-कश्मीर में पुलिस द्वारा लगातार आतंकवादियों के मारने की ख़बरें आ रही हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दावा किया है कि श्रीनगर (Srinagar) के परिम्पोरा (Parimpora) इलाके में हुई मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए हैं।

मारे गए युवकों के परिवारों ने कहा वे आतंकवादी नहीं थे

बुधवार को हुए एक मुठभेड़ में मारे गए युवकों के परिवारों का कहना है कि उन लोगों का आतंकवाद से कोई संबंध नहीं था और उनमें से दो छात्र थे। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा और शोपियां जिलों के परिवारों ने यहां पुलिस नियंत्रण कक्ष के बाहर धरना दिया। उन्होंने दावा किया कि मारे गए युवकों में से एक कक्षा 11 का छात्र था, दूसरा एक विश्वविद्यालय का छात्र था और तीसरा बढ़ई का काम करता था।

पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा कि एक आतंकवादी बुधवार को तड़के मारा गया जबकि दो अन्य कुछ घंटे बाद मारे गए। परिवारों द्वारा किए गए दावों के संदर्भ में उन्होंने कहा, 'आमतौर पर अभिभावकों को अपने बच्चों की गतिविधियों के बारे में पता नहीं होता है। कई सदस्य हथगोला फेंकने और गोलीबारी जैसे आतंकी अपराधों को अंजाम देने के बाद सामान्य रूप से अपने परिवार के साथ रहते हैं।'

तीन अज्ञात आतंकवादी मारे गए- अधिकारी

प्रवक्ता ने कहा कि हालांकि मारे गए तीनों आतंकवादियों का जिक्र 'आतंकवादियों की हमारी सूची में नहीं किया गया था, लेकिन उनमें से दो आतंकवादियों के कट्टर सहयोगी थे।' उन्होंने कहा कि दोनों में से एक, शीर्ष हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर रईस कचरू का रिश्तेदार था जो 2017 में मारा गया था। उन्होंने कहा कि संदेह है कि तीसरा भी शायद हाल ही में आतंकवाद से जुड़ गया था।

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प्रवक्ता ने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और 'गहन जांच के बाद, किसी निष्कर्ष पर पहुंचेगी।' उन्होंने कहा कि शहर के परिम्पोरा इलाके में बीती रात शुरू हुई मुठभेड़ में तीन अज्ञात आतंकवादी मारे गए। आतंकवादियों ने मंगलवार शाम को तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षा बलों पर गोलियां चलाई थीं। पुलिस ने मारे गए युवकों की पहचान या उम्र के बारे में अभी कोई जानकारी नहीं दी है। लेकिन प्रदर्शनकारी परिवारों ने दावा किया कि युवक उनके परिजन थे और उनका आतंकवाद से कोई संबंध नहीं था।

तीनों के परिवारों ने क्या कहा?

परिवारों ने कहा कि मारे गए युवकों में अतहर मुश्ताक और ऐजाज मकबूल दोनों छात्र थे वहीं जुबैर अहमद बढ़ई का काम करता था। परिवारों ने तीनों लोगों की उम्र के बारे में नहीं बताया। मकबूल की बहन ने संवाददाताओं से कहा, ‘मेरा भाई कल (मंगलवार) सुबह 11 बजे विश्वविद्यालय गया था क्योंकि उसे वहां कुछ फॉर्म भरना था। उसने मुझे यह बताने के लिए दोपहर बाद 3:01 बजे फोन किया कि उसे विश्वविद्यालय में ठहरना पड़ सकता है। आज, हमारे पास फोन आया कि वह मारा गया। वह आतंकवादी नहीं था।'

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पुलिसकर्मी का बेटा भी था

मकबूल गांदरबल जिले में तैनात एक पुलिसकर्मी का बेटा था। मुश्ताक के एक रिश्तेदार ने भी ऐसा ही दावा किया और कहा कि वह 11 वीं कक्षा का छात्र था। पुलिस अधिकारियों ने परिवारों द्वारा किए गए दावों के बारे में पूछे गए सवालों पर कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि, सेना के एक अधिकारी ने कहा कि मारे गए युवक 'कट्टर आतंकवादी' थे, जिन्होंने मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के खिलाफ भारी मात्रा में गोला-बारूद और हथगोलों का इस्तेमाल किया।

युवाओं से आत्मसमर्पण करने की अपील की गई- अधिकारी

अधिकारी ने कहा कि 'हमने युवाओं से आत्मसमर्पण करने के लिए बार बार अपील की। उनमें से एक इमारत से जाने वाला था लेकिन उसके सहयोगियों ने गोलीबारी की और सुरक्षा बलों पर हथगोले फेंके और कल उसे वापस खींच लिया। सुबह, हमने फिर उनसे आत्मसमर्पण करने की अपील की लेकिन हमें महसूस हुआ कि वे आत्मसमर्पण नहीं करने वाले हैं।' सैन्य अधिकारी ने कहा, ‘उन लोगों ने जितनी मात्रा में गोला-बारूद का उपयोग किया, उससे स्पष्ट होता है कि वे क्षेत्र में एक बड़े आतंकी हमले की फिराक में थे।

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