इसरो वैज्ञानिक का खुलासा: 'उन्होंने कहा था मुस्लिम का नाम ले लो जेल से छूट जाओगे'

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी इसरो (इसरो) के वैज्ञानिक रहे नंबी नारायणन एक झूठे केस में 2 महीने तक जेल की सजा काट चुके हैं। उन्होंने जेल से रिहा होने के बाद बहुत बड़ा खुलासा किया है।

Update:2020-09-16 11:43 IST
सीबीआई ने अपनी जांच में कहा था कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं। सीबीआई से पहले इस मामले की जांच केरल पुलिस कर रही थी।

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी इसरो (इसरो) के वैज्ञानिक रहे नंबी नारायणन एक झूठे केस में 2 महीने तक जेल की सजा काट चुके हैं। उन्होंने जेल से रिहा होने के बाद बहुत बड़ा खुलासा किया है।

उन्होंने बताया कि केस की जांच के दौरान जांचकर्ताओं ने उनसे कहा था कि वह कोई मुस्लिम का नाम ले लें। अगर वह उनकी कहानी के मुताबिक नहीं चलेंगे तो उन्हें पंजाब के पठानकोट पुलिस को हैंडओवर कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं उनका एनकाउंटर करने की धमकी भी दी गई थी।

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन की फोटो(सोशल मीडिया)

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क्या है ये पूरा मामला

दरअसल 26 साल पहले 1994 में इसरो के वैज्ञानिक रहे नंबी नारायणन के उपर जासूसी का झूठा आरोप लगाया गया था। आरोपकर्ताओं का कहना था कि नारायणन ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से संबंधित कुछ बेहद गोपनीय दस्तावेज अन्य 6 देशों को ट्रांसफर किया हैं। बाद में इस मामले में सीबीआई जांच हुई और नंबी नारायणन के खिलाफ लगाए गये सभी आरोप झूठे पाए गये थे।

सीबीआई ने अपनी जांच में कहा था कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं। सीबीआई से पहले इस मामले की जांच केरल पुलिस कर रही थी। इस केस में दो महीने तक नंबी नारायणन को जेल में भी रहना पड़ा था।

जेल से रिहा होने और इस केस में बाईज्जत बरी होने के बाद नारायण ने एक इंटरव्यू में 26 साल पहले उनके साध क्या कुछ हुआ था उस पर मीडिया से बात की है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए अपने दर्द को शब्दों में बयाँ किया है।

मुस्लिम नाम लेने का दबाया बनाया और एनकाउंटर की दी धमकी

नारायण ने बताया कि जांच के समय जांचकर्ताओं ने उनसे कहा कि वह कोई मुस्लिम नाम ले लें। जिस पर उन्हें लगा कि एजेंसियों ने अपनी ही कोई कहानी बना ली है और उसके अनुसार उन्हें चलने को कह रहे हैं।

उनके मुताबिक जांचकर्ताओं ने कहा कि अगर वह उनकी कहानी के मुताबिक नहीं चलेंगे तो उन्हें पंजाब के पठानकोट पुलिस को हैंडओवर कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं उनका एनकाउंटर करने की धमकी भी दी गई।'

'पूछताछ के समाय उन्होंने पानी मांगा जिस पर उन्हें जवाब मिला कि जब तक वह सारे आरोप स्वीकार नहीं कर लेते पानी की एक बूंद नहीं मिलेगी। एक अधिकारी ने उन पर चिल्लाते हुए कहा- तुम एक थर्ड रेट अपराधी हो।तुम पानी मांग रहे हो?'

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इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन की फोटो(सोशल मीडिया)

पानी तक के लिय तरसाया गया

नारायणन ने बताया कि जब उन्होंने पानी मांगा तो एक आदमी उनसे एक फीट की दूरी पर गिलास में पानी लिए खड़ा था ताकि मैं उस ओर ललचा सकूं। मैं अपनी कुर्सी से उठा। मैंने कहा- मुझे पानी नहीं चाहिए। मैं लंबे समय तक बैठना नहीं चाहता। मैं यहां खड़ा रहूंगा। बिना खाना पानी के जब तक कि आप यह नहीं मान लेते हैं कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है।'

नारायणन ने पुलिस द्वारा अपने साथ किये बर्ताव का जिक्र करते हुए बताया कि पुलिस ने उनसे कहा था कि 'हमें पता है ऐसा कुछ नहीं हुआ, लेकिन हम चाहते हैं यह कहानी आप बताएं। आपको करना बस इतना है कि एक मुस्लिम दोस्त का नाम ले लें।'

केरल सरकार ने दिया 1.30 करोड़ रुपये का मुआवजा

गौरतलब है कि इसरो के वैज्ञानिक नंबी नारायणन के इस केस में 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि उनकी गलत गिरफ्तारी हुई है। कोर्ट ने उन्हेंल 50 लाख रुपये की अंतरिम राशि राहत के तौर पर देने का आदेश दिया था।

वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उन्हें अलग से 10 लाख रुपये का मुआवजा सौंपे जाने की सिफारिश की थी। जिसके बाद बाद नंबी ने तिरुवनंतपुरम के सेशन कोर्ट में एक केस फ़ाइल किया था।

अभी पिछले ही केरल की सरकार ने इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को मंगलवार को 1.30 करोड़ रुपये का अतिरिक्ति मुआवजा दिया था।

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