चीन को घेरने के लिए अमेरिका ने बनाया ये खास प्लान, इन देशों का मिला समर्थन

भारत की तरह ही अमेरिका भी चीन की विस्तारवादी नीतियों से बेहद खफा है। इसलिए उसने चीन को सबक सिखाने के लिए अभी से रणनीतियों को बनाकर उस पर काम करना भी शुरू कर दिया है।

Update: 2020-09-01 13:23 GMT
बेगुन ने कहा, "हिंद महासागर क्षेत्र में मजबूत बहुपक्षीय संरचनाओं की कमी है। उनके पास नाटो या यूरोपीय संघ के भाग्य का कुछ भी नहीं है।

नई दिल्ली: प्रशांत महासागर में चीन की दखलअंदाजी अमेरिका को बिल्कुल भी रास नहीं आ रही है। भारत की तरह ही अमेरिका भी चीन की विस्तारवादी नीतियों से बेहद खफा है। इसलिए उसने चीन को सबक सिखाने के लिए अभी से रणनीतियों को बनाकर उस पर काम करना भी शुरू कर दिया है।

अमेरिका प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ अपने रक्षा संबंधों को औपचारिक रूप देना चाहता है। चीन के साथ मुकाबला करने के उद्देश्य से भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की तरह ही गठबंधन बनाना चाहता है।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की फोटो(साभार सोशल मीडिया

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चीन के खतरे से दुनिया को बचाना है मकसद

अमेरिका के उप सचिव स्टीफन बेजगान ने सोमवार को बताया कि अमेरिका का उद्देश्य इस क्षेत्र में चार देशों और अन्य के साथ समूह बनाकर चीन से संभावित चुनौती को जवाब देने कि लिए एक साथ काम करने का है।

ये बातें बेगुन ने यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन चर्चा में भारत के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा के साथ बात करते हुए कही।

बेगुन ने कहा, "हिंद महासागर क्षेत्र में मजबूत बहुपक्षीय संरचनाओं की कमी है। उनके पास नाटो या यूरोपीय संघ के भाग्य का कुछ भी नहीं है। एशिया में सबसे मजबूत संस्थान अक्सर नहीं होते हैं।

मुझे लगता है कि समावेश की कमी के कारण ऐसा है। वहां निश्चित रूप से इस तरह की संरचना को औपचारिक रूप देने के चांसेज है।

हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि अमेरिका प्रशांत नाटो के लिए अपनी महत्वाकांक्षाओं को आगे रखेगा। इस तरह के गठबंधन का दावा करते हुए उन्होंने कहा, "ऐसा केवल तभी होगा जब अन्य देश अमेरिका की तरह इसके लिए प्रतिबद्ध होंगे।" सर्दी के इस महीने में दिल्ली में चारों देशों की बैठक होने की संभावना जताई जा रही है।

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पीएम नरेंद्र मोदी की फोटो(साभार-सोशल मीडिया

नौसेना अभ्यास में लिए आस्ट्रेलिया को निमन्त्रण भेज सकता है भारत

बता दें कि अमेरिका और भारत द्वारा 1992 से नौसेना अभ्यास आयोजित किया गया था, जो कि ज्यादातर बंगाल की खाड़ी में होता है। जापान 2015 से इस अभ्यास में भाग ले रहा है।

अब भारत, मालाबार नौसेना अभ्यास में भाग लेने के लिए ऑस्ट्रेलिया को आमंत्रित करने के इरादे का संकेत दे रहा है, जो इंडो-पैसिफिक में समुद्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक जबरदस्त कदम होगा।

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि जून में गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच झडप ने मालाबार नौसेना अभ्यास के लिए ऑस्ट्रेलिया को वापस लेने के लिए भारत को और अधिक इच्छुक बना दिया है।

लेकिन इस वर्ष के अभ्यास में भाग लेने के लिए जापान और अमेरिका को पहले ही आमंत्रित किया जा चुका है, लेकिन कोरोना -19 के कारण, भारत ने अभी तक ऑस्ट्रेलिया को औपचारिक न्योता नहीं भेजा है।

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