भारत को बड़ा झटका- GSP सुविधा छीन सकता है अमेरिका, माल बेचना होगा मुश्किल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ अमेरिकी ट्रेड प्रोग्राम, जीएसपी (जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस) समाप्त करने का फैसला किया है। ट्रंप ने इसकी जानकारी अपनी संसद को दे दी है।अमेरिका ये कारोबारी संबंध भारत के अलावा तुर्की के साथ भी तोड़ रहा है।

Update: 2019-03-05 04:29 GMT

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ अमेरिकी ट्रेड प्रोग्राम, जीएसपी (जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस) समाप्त करने का फैसला किया है। ट्रंप ने इसकी जानकारी अपनी संसद को दे दी है।अमेरिका ये कारोबारी संबंध भारत के अलावा तुर्की के साथ भी तोड़ रहा है। भारत और तुर्की के लगभग 2 हजार प्रोडक्ट हैं जो इसके प्रभाव में आएंगे।यह लाभ उन उत्पादों पर उठाया जाता है जिनका निर्यात अमेरिका को किया जाता है। ट्रंप के इस फैसले की जानकारी यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटटेटिव रॉबर्ट लाइट्जर ने दी है।

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ट्रम्प ने सोमवार को कांग्रेस को बताया, 'मैं प्राथमिकताओं के सामान्यीकरण प्रणाली (जीएसपी) कार्यक्रम के विकासशील देश के तौर पर भारत को प्राप्त उपाधि को समाप्त करने की सूचना प्रदान कर रहा हूं। मैं यह कदम इसलिए उठा रहा हूं क्योंकि अमेरिका तथा भारत सरकार के बीच मजबूत संबंध के बावजूद मैंने यह पाया है कि भारत ने अमेरिका को यह आश्वासन नहीं दिया है कि वह अपने बाजारों में उसकी न्यायसंगत और उचित पहुंच प्रदान करेगा।'

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जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस यानी जीएसपी अमेरिकी ट्रेड प्रोग्राम है जिसके तहत अमेरिका विकासशील देशों में आर्थिक तरक्की के लिए अपने यहां बिना टैक्स सामानों का आयात करता है। अमेरिका ने दुनिया के 129 देशों को यह सुविधा दी है जहां से 4800 प्रोडक्ट का आयात होता है। अमेरिका ने ट्रेड एक्ट 1974 के तहत 1 जनवरी 1976 को जीएसपी का गठन किया था।

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साल 2017 में भारत विकासशील देशों में अकेला देश था जिसे जीएसपी के तहत सबसे ज्यादा लाभ मिला था। भारत से अमेरिका ने 5.7 बिलियन डॉलर का आयात बिना किसी टैक्स के किया था जबकि तुर्की पांचवें स्थान पर था जहां से 1.7 बिलियन डॉलर का ड्यूटी फ्री आयात किया गया था। पिछले साल अप्रैल में अमेरिका ने एलान किया था कि वह भारत और तुर्की को मिलने वाली राहत पर विचार करेगा क्योंकि अमेरिका की कुछ डेयरी और मेडिकल कंपनियों ने शिकायत की थी कि इससे स्वदेशी कारोबार पर गहरा असर पड़ रहा है।

ट्रंप का यह फैसला ऐसे वक्त में सामने आया है जब भारत में आम चुनाव है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह मुश्किल हो सकता है क्योंकि उन्हें चुनावी माहौल में देश की आर्थिक प्रगति की चिंता सता सकती है। दूसरी ओर, ट्रंप और तुर्की के प्रधानमंत्री अर्दोगन के बीच संबंधों में खटास जगजाहिर है। वहां की अर्थव्यवस्था भी कमजोर होती जा रही है। साथ में वहां भी आम चुनाव हैं। इसलिए भारत और तुर्की दोनों देशों पर अमेरिका के इस फैसले का गहरा असर देखा जा सकता है।

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