अगर अमेरिका और ईरान में छिड़ा युद्ध, तो भारत होगा ये बड़ा असर

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बरकरार है। विदेश नीति के मोर्चे पर भारत के सामने ईरान से बड़ी चुनौती है। कूटनीतिक रूप से देखें भारत के लिए यह एक तूफान की तरह है। अगर ईरान और यूएस के बीच तनाव युद्ध में बदलता है, तो इसकी वजह से 70 लाख भारतीयों परिवारों की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।

Update: 2023-03-25 06:43 GMT

नई दिल्ली: अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बरकरार है। विदेश नीति के मोर्चे पर भारत के सामने ईरान से बड़ी चुनौती है। कूटनीतिक रूप से देखें भारत के लिए यह एक तूफान की तरह है। अगर ईरान और यूएस के बीच तनाव युद्ध में बदलता है, तो इसकी वजह से 70 लाख भारतीयों परिवारों की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।

अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध होने की स्थिति में भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर संकट के बाद छा सकते हैंऑ। ऊर्जा संकट से भारत की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में जाने का खतरा है। बता दें कि फारस की खाड़ी एक्सपोर्ट के लिए भारत का सबसे बड़ा बाजार है। इस इलाके में युद्ध की स्थिति को लेकर भारत की खामोशी बाद में भारी पड़ सकती है।

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जानकारों का मानना है कि भारत को एक जैसे सोच रखने वाले देशों को युद्ध रोकने की कोशिश करनी चाहिए। उनका कहना है कि भारत ईरान पर अमेरिका के प्रतिबंधों पर अमल कर रहा है। हालांकि पहले भारत का पक्ष था कि वह संयुक्त राष्ट्र के अलावा किसी तीसरे देश की प्रतिबंधों को नहीं मानेगा। ईरान से अचानक से तेल आयात बंद करना जल्दबाजी में उठाया गया कदम है।

ईरान की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के लिए अमेरिका डॉलर को हथियार बना रहा है जिसके बाद भारत-ईरान की आर्थिक साझेदारी के दरवाजे बंद हो गए। ऐसे में भारत का ईरान के चाबहार में किया गया भारी-भरकम निवेश भी खतरे में पड़ सकता है।

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दूसरी तरफ चीन ईरान के मुद्दे पर अपना रुख अमेरिका को साफ कर चुका है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने ईरानी समकक्ष जवाद जरीफ से कहा कि चीन अमेरिका के एकतरफा प्रतिबंध का विरोध करता है. हम ईरान की स्थिति और चिंता को समझते हैं और उसके हितों की रक्षा करने के लिए ईरान के पक्ष में खड़े हैं।

ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध को आसान समझकर भारत को नुकसान पहुंचा है। वहीं इस बात की प्रबल संभावना बन रही है कि ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध को यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस और चीन चुनौती दे सकते हैं। यह यूएस के वैश्विक नेतृत्व और प्रभुत्व के लिए ऐतिहासिक खतरा बन सकता है।

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विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अभी अमरीका के ख़िलाफ़ नहीं जा सकता है। हाल ही में अमरीका ने आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अज़हर को संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद से वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने में खुलकर मदद की थी।

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