राम जन्मभूमि पर वार-पलटवार! अब मुस्लिम पक्ष पर लगाये ये आरोप

विश्‍व हिंदू परिषद (वीएचपी) और निर्मोही अखाड़ा ने अयोध्‍या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए जमीयत उलमा-ए-हिंद की आलोचना की है।

Update: 2019-12-03 08:19 GMT

अयोध्‍या: अयोध्‍या रामजन्म भूमि पर सुप्रीम कोर्ट के सुप्रीम फैसले के बाद भी मामला शांत होता नहीं दिख रहा है। बता दें कि विश्‍व हिंदू परिषद (वीएचपी) और निर्मोही अखाड़ा ने अयोध्‍या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए जमीयत उलमा-ए-हिंद की आलोचना की है।

उन्‍होंने मुस्लिम पक्ष पर मुद्दे को लटकाए रखने और सच से मुंह फेरने का का आरोप लगाया है।

जनरल सेक्रटरी सुरेंद्र जैन ने कहा...

वीएचपी के जॉइंट जनरल सेक्रटरी सुरेंद्र जैन ने कहा मुस्लिम पार्टियां इस केस में कभी अपनी बातों पर कायम नहीं रहीं। अयोध्‍या में निर्मोही आखाड़े के प्रमुख, महंत धीरेंद्र दास और राम जन्‍मभूमि के मुख्‍य पुजारी सत्‍येंद्र दास ने इसे भारत में 'सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की साजिश' बताया।

पुनर्विचार याचिका दायर करने से किया मना...

दोनों ही संतों का कहना था कि मुस्लिम पक्ष ने पहले कहा था कि वह कोर्ट के फैसले को स्‍वीकार कर लेगा, और यह कि मुख्‍य मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने पुनर्विचार याचिका दायर करने से मना कर दिया है।

पुनर्विचार याचिका के पक्ष में नहीं...

इसके साथ ही वीएचपी का यह भी कहना था कि मुसलमानों का एक बड़ा तबका किसी पुनर्विचार याचिका के पक्ष में नहीं था। सुरेंद्र जैन के अनुसार, उनका यह दावा कि 99 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय पुनर्विचार याचिका के पक्ष में है, एकदम गलत है।

युवा और और शिक्षित मुस्लिम ऐसे किसी कदम के पक्ष में नहीं हैं और बड़ी बारीकी से इन पर नजर रखे हुए है।

उन्‍होंने आगे कहा कि मुस्लिम पक्ष अयोध्‍या मामले में हमेशा मुद्दे को लटकाए रहने और सच को झुठलाने की नीति अपनाता रहा है। हालांकि पुनर्विचार याचिका दायर करना उनका कानूनी हक है लेकिन इससे उनकी स्थिति को और नुकसान पहुंचेगा।

तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोगों के उकसाने का काम...

वीएचपी पदाधिकारी ने कहा कि पहले तो उन्‍होंने सार्वजनिक रूप से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आलोचना की और उसके बाद कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोगों ने उन्‍हें सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए उकसाया।' राम जन्‍म‍भूमि मंदिर के मुख्‍य पुजारी का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट को पहली सुनवाई में ही याचिका को खारिज कर देना चाहिए।

जमीयत की याचिका में ये दलीलें...

बता दें कि अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक मुस्लिम पक्षकार ने सोमवार को रिव्यू पिटिशन दाखिल की।

जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अशद रशीदी की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन रामलला को सौंपने और मस्जिद के लिए दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन देने के फैसले में खामियां हैं।

आपको बता दें कि अदालत ने माना था कि विवादित जगह पर मस्जिद को तोड़ा जाना गलत था, फिर भी हिंदू पक्षकार को जमीन दे दी गई। पूर्ण न्याय के लिए वहीं बाबरी मस्जिद दोबारा बनाने का आदेश दिया जाना चाहिए था।

9 दिसंबर से पहले रिव्यू पिटिशन दायर करेगा AIMPLB...

याचिका दाखिल करने के बाद मीडिया से बातचीत में मौलाना सैयद अशद मदनी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट अयोध्या पर दिए अपने फैसले को बरकरार रखता है तो जमीयत उसे मानेगी।

वहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा कि इस मामले में एआईएमपीएलबी 9 दिसंबर से पहले पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगा।

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