Vice President Jagdeep Dhankhar: धनखड़ ने ममता सरकार पर फिर उठाए सवाल, बोले- पश्चिम बंगाल में चलता है शासक का कानून
Vice President Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति बनने के बाद जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल में कानून का राज नहीं होने का मुद्दा उठाया है।
New Delhi: उपराष्ट्रपति बनने के बाद भी जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) की पश्चिम बंगाल की ममता सरकार (Mamta Sarkar) से शिकायतें दूर नहीं हो सकी हैं। धनखड़ ने एक बार फिर पश्चिम बंगाल में कानून (West Bengal Politics) का राज नहीं होने का मुद्दा उठाया है। मानवाधिकार आयोग के सालाना कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने कहा कि पश्चिम बंगाल में कानून का राज नहीं बल्कि शासक का कानून चलता है।
धनखड़ ने पश्चिम बंगाल का राज्यपाल पद छोड़ने के बाद उपराष्ट्रपति की जिम्मेदारी संभाली है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहने के दौरान उनका ममता सरकार से हमेशा टकराव बना रहा। पश्चिम बंगाल में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के मुद्दे पर राजभवन और ममता सरकार के बीच टकराव चरम पर पहुंच गया था। टीएमसी नेताओं ने भी धनखड़ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इसी बीच धनखड़ के उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद मामला ठंडा पड़ गया था मगर धनखड़ ने एक बार फिर ममता सरकार पर तंज कसा है।
मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट का जिक्र
मानवाधिकार आयोग के सालाना कार्यक्रम के दौरान धनखड़ ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई भारी हिंसा के संबंध में आयोग की रिपोर्ट का भी जिक्र किया। दरअसल हिंसा के बाद मानवाधिकार आयोग की ओर से की गई जांच पड़ताल में ममता सरकार और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए थे।
धनखड़ ने इसी रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट से साफ हो गया था कि पश्चिम बंगाल में शासक का ही कानून चलता है। वहां कानून के हिसाब से कोई काम ही नहीं किया जाता। अपने राज्यपाल रहने के दिनों की याद करते हुए धनकड़ ने कहा कि इस दौरान कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनसे साफ पता चलता है कि राज्य में किस तरह कानून की धज्जियां उड़ाई गईं।
ममता सरकार से लगातार बना रहा टकराव
उपराष्ट्रपति बनने से पहले धनखड़ ने करीब तीन साल तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाली थी। इस दौरान उनका लगातार ममता सरकार से टकराव बना रहा। चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान लोगों के पलायन करने पर धनखड़ ने शरणार्थी शिविरों का दौरा तक किया था। राज्य में कानून व्यवस्था के मुद्दे के साथ ही विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्त करने के मुद्दे पर भी दोनों पक्षों के बीच भारी टकराव दिखा था।
इस टकराव के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी नेताओं ने धनखड़ को पद से हटाने की भी मांग की थी। धनखड़ ने उन्हीं दिनों की याद करते हुए पश्चिम बंगाल में कानून के राज पर एक बार फिर सवाल उठाए हैं।
समान नागरिक संहिता की वकालत
मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस अरुण मिश्रा ने अपने संबोधन के दौरान देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने पर जोर दिया। उन्होंने समान नागरिक संहिता को देश के लिए जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि देश में सभी लोगों को एक समान अधिकार हासिल होने चाहिए। किसी भी धर्म या परंपरा के नाम पर अधिकारों में किसी भी प्रकार का भेदभाव किया जाना अनुचित है। अगर हमें इस भेदभाव को समाप्त करना है तो हमें निश्चित रूप से समान नागरिक संहिता की ओर कदम बढ़ाना होगा। उन्होंने इस सिलसिले में संविधान के आर्टिकल 44 का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि देश में कई शहरों का पर्यावरण बदतर हालत में पहुंच चुका है और यह भी मानवाधिकार के उल्लंघन का ही मामला है। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि स्वच्छ हवा हासिल करना हर किसी का अधिकार है मगर हम वह भी मुहैया कराने में विफल साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली में रहने वालों का सर्दी के दिनों में दम घुटने लगता है। इसलिए पड़ोस के राज्यों में पराली जलाने पर अविलंब रोक लगनी चाहिए।