Watching Adult Video Case: अकेले में पोर्न देखना अपराध है या नहीं ? केरल हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Watching Adult Video Case: कुछ लोग ऐसे वेबसाइट्स पर पाबंदी लगाने की मांग करते रहे हैं जबकि कुछ लोगों का मानना है कि यह किसी के निजता से जुड़ा हुआ मसला है, इसलिए ऐसी किसी कार्रवाई से बचना चाहिए।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-09-13 07:56 IST

Watching Adult Video Case (photo: social media )

Watching Adult Video Case: अकेले में पोर्न देखना अपराध है या नहीं, इस पर लंबे समय से बहस होती रही है। सरकार के द्वारा समय-समय पर पोर्न वीडियो कंटेंट परोसने वाली वेबसाइट्स पर सख्त एक्शन लिया जाता रहा है। हालांकि, इसपर लोगों की राय बंटी रही है। कुछ लोग ऐसे वेबसाइट्स पर पाबंदी लगाने की मांग करते रहे हैं जबकि कुछ लोगों का मानना है कि यह किसी के निजता से जुड़ा हुआ मसला है, इसलिए ऐसी किसी कार्रवाई से बचना चाहिए।

देश में जारी इस बहस के बीच केरल हाईकोर्ट ने पोर्न देखने पर बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर कोई शख्स अकेले में पोर्न देखता है तो इसे अपराध की श्रेणी में नहीं माना जाएगा। अदालत ने कहा कि अकेले में पोर्न देखना आईपीसी की धारा 292 के तहत अपराध के दायरे में नहीं आता। कोर्ट ने कहा कि पोर्न देखना किसी शख्स की निजी पसंद हो सकता है। ऐसे में कोर्ट उसे किसी भी तरह बाध्य नहीं कर सकती है।

क्या है पूरा मामला ?

दरअसल, केरल पुलिस ने एक शख्स को सड़क पर अपने मोबाइल फोन में पोर्न देखते हुए पकड़ा था। इसके बाद उस पर आईपीसी की धारा 292 के तहत मामला दर्ज किया गया था। आरोपी ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहां मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन ने आरोपी के खिलाफ दर्ज आपराधिक केस को रद्द कर दिया। उन्होंने अपने फैसले में कहा, इस तरह के कृत्य को अपराध घोषित नहीं किया जा सकता क्योंकि यह किसी भी नागरिक की निजी पसंद है और इसमें दखलअंदाजी उसकी प्राइवेसी में घुसपैठ के समान है।

जस्टिस पीवी कुन्हिकृष्णन ने फैसला सुनाते हुए माता-पिता को नाबालिग बच्चों में फोन के बढ़ते लत को लेकर आगाह भी किया। उन्होंने कहा कि बिना निगरानी के बच्चों को मोबाइल फोन देने के कई खतरे हैं। इंटरनेट एक्सेस वाले फोन में पोर्न वीडियो आसानी से उलब्ध हैं, ऐसे में अगर बच्चे उन्हें देखते हैं तो इसके परिणाम नकारात्मक हो सकते हैं।

आईपीसी की धारा 292 क्या है ?

आईपीसी की धारा 292 उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है, जिनपर समाज में अश्लीलता फैलाने के आरोप लगते हैं। अगर कोई व्यक्ति अश्लील किताबों और सामानों की बिक्री, उसका वितरण और प्रद्रर्शन करता हुआ पाया जाता है तो उसे आईपीसी की धारा 292 के तहत दोषी माना जाएगा।

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