भयानक ठंड में साधुओं का ध्यान देख हिल जाएंगे आप, -4 डिग्री में जारी है साधना
इस हाड़ कंपाने वाली ठंड में भी साधुओं की आस्था कम नहीं हुई है। 19 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो चुके हैं, लेकिन 17 साधुओं ने धाम में रहकर ही तप करने की अनुमति जोशीमठ तहसील प्रशासन से मांगी है।
उत्तराखंड: ठंड का कहर अब पूरे देश में जारी है। बदरीनाथ धाम में हाड़ कंपाने वाली ठंड पड़ रही है जिसमें 17 साधु साधनारत हैं। धाम में इन दिनों तापमान -4 तक पहुंच गया है और करीब दो फीट बर्फ जमी हुई है। इस हाड़ कंपाने वाली ठंड में भी साधुओं की आस्था कम नहीं हुई है। 19 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो चुके हैं, लेकिन 17 साधुओं ने धाम में रहकर ही तप करने की अनुमति जोशीमठ तहसील प्रशासन से मांगी है।
बदरीनाथ धाम में छह महीने का खाद्यान्न का भंडारण
शीतकाल में बदरीनाथ धाम में रहने वाले साधुओं के लिए उनके शिष्य और भक्त छह माह का खाद्यान्न का भी भंडारण पूर्व में ही कर दिया जाता है। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष अनसूया प्रसाद भट्ट का कहना है कि शीतकाल में बदरीनाथ धाम में चारों ओर शांति ही शांति रहती है। कई साधु-संत बदरीनाथ धाम की ठंड में रहने के लिए अभ्यस्थ हो गए हैं, जिससे उनकी आस्था को ठंड भी नहीं डिगा पाती है।
तपस्या करने से पहले साधु-संतों का स्वास्थ्य परीक्षण
बदरीनाथ धाम में तपस्या करने की अनुमति देने से पहले साधु-संतों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया था। इस दौरान कोई भी साधु मुख्य मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता। अनुमति के बगैर किसी भी व्यक्ति को हनुमान चट्टी से आगे जाने की अनुमति नहीं है। - कुमकुम जोशी, एसडीएम, जोशीमठ, चमोली
बर्फबारी और कड़ाके की ठंड के बावजूद गंगोत्री धाम क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर 28 साधु साधना में लीन हैं। बिना किसी संसाधन के ये साधु हिमाच्छादित कंद्राओं में रहकर योग, ध्यान में एक दशक से लीन हैं। शीतकाल में गंगोत्री मंदिर के कपाट बंद होने और अत्यधिक बर्फबारी के कारण गंगोत्री धाम में तापमान माइनस 0 डिग्री पर पहुंच जाता है।
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अलाव के सहारे ध्यान में लीन रहते हैं साधु
कंद्राओं में निवासरत साधु अलाव के सहारे ध्यान में लीन रहते हैं। वह बर्फ पिघलाकर पानी पीते हैं। गंगोत्री नेशनल पार्क के रेंजर प्रताप पंवार ने बताया कि इस वर्ष गंगोत्री धाम में 25, तपोवन में दो और भागुलवासा में एक साधु साधनारत है। कपाट बंद होने से पूर्व वे प्रशासन से यहां साधना की अनुमति लेते हैं।
एसडीएम भटवाड़ी देवेंद्र नेगी ने बताया कि साधुओं को प्रशासन की ओर से उन्हें मिट्टी तेल उपलब्ध कराया जाता है, जिन साधुओं के राशन कार्ड बने हैं उन्हें जिला पूर्ति विभाग रसद मुहैया करता है। किसी साधु के बीमार होने की सूचना पर प्रशासन उन्हें दवाई भी उपलब्ध करता है। यमुनोत्र क्षेत्र में कोई भी साधु साधनारत नहीं है।
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गरुड़ चट्टी में ललित महाराज समेत पांच साधु निवास कर रहे हैं
केदारनाथ धाम से लगभग दो किमी पहले मंदाकिनी नदी के दूसरी तरफ स्थित गरुड़ चट्टी में ललित महाराज समेत पांच साधु निवास कर रहे हैं, जो वर्षों से वहां रहते आ रहे हैं। जिलाधिकारी मनुज गोयल ने बताया कि केदारानथ में शीतकाल में रहने के लिए किसी भी साधु ने कोई पंजीकरण नहीं कराया है। सिर्फ छह साधुओं के बारे में जानकारी है, जो गरुड़ चट्टी में रह रहे हैं।
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