हड़ताल से बंगाल की छवि हो रही धूमिल, काम पर वापस लौटे डॉक्टर : ममता बनर्जी

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शाम 6 बजे प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से हड़ताली डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की। उन्होंने कहा है कि हजारों लोग चिकित्सा उपचार की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

Update:2019-06-15 15:52 IST

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में साथी डॉक्टरों पर हमलों के खिलाफ और उपयुक्त सुरक्षा मुहैया कराने की मांग को लेकर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल लगातार पांचवें दिन शनिवार को भी जारी है, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले घायल डॉक्टरों से मिलने के लिए अस्पताल जाने का निर्णय ले लिया था लेकिन बाद में उन्होंने अपना फैसला बदल दिया।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शाम 6 बजे प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से हड़ताली डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की। उन्होंने कहा है कि हजारों लोग चिकित्सा उपचार की प्रतीक्षा कर रहे हैं। सीएम ममता बनर्जी ने डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

उन्होंने ये भी कहा कि हड़ताल से बंगाल की छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है। डाक्टरों को चाहिए कि वे फौरन हड़ताल खत्म करके काम पर वापस लौटे। राज्य सरकार जल्द से जल्द सामान्य चिकित्सा सेवाएं फिर से शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमने लगातार एक समाधान तक पहुंचने की कोशिश की थी।

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बताते चले कि शुक्रवार को करीब 700 सरकारी डॉक्टर्स ने हड़ताल कर रहे साथी डॉक्टर्स के साथ एकजुटता दिखाते हुए इस्तीफा दे दिया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने शुक्रवार को बताया कि सोमवार को पूरे देश में हड़ताल की जाएगी और डॉक्टरों से ओपीडी सेवाओं का बहिष्कार करने का आग्रह भी किया।

इसके साथ ही रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, ने कहा है कि हम पश्चिम बंगाल सरकार को हड़ताल कर रहे डॉक्टरों की मांगों को पूरा करने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दे रहे हैं। अगर मांगे नहीं मानी गई तो एम्स में अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।

बता दें कि, शुक्रवार को देशभर में प्रदर्शन तब शुरू हो गया, जब सोमवार देर रात कोलकाता के राजकीय एनआरएस अस्पताल में एक 75 वर्षीय मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों द्वारा कथित रूप से एक जूनियर डॉक्टर की पिटाई की गई। इस घटना के बाद राज्य के अधिकांश सरकारी अस्पतालों ने काम करना बंद कर दिया।

पश्चिम बंगाल के हड़ताली डॉक्टरों के समर्थन में देशभर में चिकित्सकों द्वारा एकजुटता दिखाए जाने के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार को सरकार से ऐसा कानून पारित कराने का अनुरोध किया, जिसके तहत डॉक्टरों पर हमला गैर-जमानती अपराध माना जाए।

केंद्र सरकार ने ममता सरकार से मांगी रिपोर्ट

पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों से मारपीट के मामले के बाद सूबे में चल रही चिकित्सकों की हड़ताल को लेकर केंद्र ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। यही नहीं गृह मंत्री अमित शाह ने ममता सरकार से 2016 से 2019 के बीच हुई राजनीतिक हिंसा को लेकर भी रिपोर्ट मांगी है।

केंद्र ने ममता सरकार से पूछा है कि आखिर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म कराने और राजनीतिक हिंसा पर लगाम कसने के लिए उन्होंने अब तक क्या किया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ममता सरकार से अब तक राजनीतिक हिंसा को रोकने, उसकी जांच और दोषियों को सजा दिलाने के लिए क्याक कदम उठाए गए हैं, इस संबंध में एक रिपोर्ट देने को कहा है। गृह मंत्रालय ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में लगातार हो रही हिंसा गंभीर चिंता का विषय है।

केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 से 2019 के बीच चुनावी हिंसा, राजनीतिक हिंसा और लोगों के मारे जाने की बढ़ती घटनाओं की तरफ इशारा करते हुए राज्यि सरकार को एक अडवाइजरी जारी की है। केंद्र सरकार ने कहा, 'पिछले कुछ वर्षों में लगातार हो रही हिंसा गंभीर चिंता का विषय है।' केंद्र सरकार ने ममता सरकार से एक रिपोर्ट मांगी है। केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के वर्तमान हालात पर गंभीर चिंता जताई है।

सोमवार को डॉक्टर्स की देश भर में हड़ताल

पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हुई हिंसा के खिलाफ आईएमए हड़ताल के समर्थन में आ गया है। आईएमए ने देश के 19 राज्यों के डॉक्टरों ने साथ मिलकर 17 जून को देश भर में हड़ताल का आह्वाहन किया है। आईएमए ने सोमवार को ओपीडी सहित सभी स्वास्थ्य संस्थानों में गैर-जरूरी सेवाओं को रोक देने का आह्वान किया है। ये हड़ताल सुबह 6 से अगले दिन सुबह 6 बजे तक की जाएगी। सभी आपातकालीन सेवाएं कार्य जारी रखेंगी।

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माफी मांगे ममता बनर्जी: डॉक्टर्स

हड़ताली जूनियर डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राज्य सचिवालय में बैठक के निमंत्रण को ठुकरा दिया, जिसे गतिरोध को हल करने के लिए बुलाया गया था, और शनिवार को लगातार पांचवें दिन अपना विरोध जारी रखा।

डॉक्टरों ने शुक्रवार को बनर्जी से बिना शर्त माफी मांगने को कहा और अपनी हड़ताल को वापस लेने के लिए राज्य सरकार के सामने छह शर्तें रखीं। जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त मंच के प्रवक्ता अरिंदम दत्ता ने कहा, “हम बैठक के लिए मुख्यमंत्री के निमंत्रण पर सचिवालय नहीं जा रहे हैं।

उन्हें नील रतन सिरकार मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में आना होगा और एसएसकेएम अस्पताल में की गई टिप्पणियों के लिए बिना शर्त माफी मांगनी होगी।” दत्ता ने कहा, “अगर वह एसएसकेएम में जा सकती है तो वह एनआरएस में भी आ सकती है। अगर नहीं तो ये आंदोलन चलता रहेगा।”

सीएम बनर्जी ने गुरुवार को राजकीय एसएसकेएम अस्पताल का दौरा किया था। उन्होंने वहां कहा था कि बाहरी लोग मेडिकल कॉलेजों में गड़बड़ी पैदा कर रहे हैं और चल रहे आंदोलन सीपीआई-एम और भाजपा द्वारा एक साजिश है।

ममता बनर्जी के सामने रखीं छह शर्ते

डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म करने के लिए ममता बनर्जी के सामने माफी मांगने समेत छह शर्तें रखी। इनमें ममता का एनआरएस अस्पताल आकर उनसे मिलना, हमले में जख्मी डॉक्टर परिबाह मुखर्जी को देखने जाना, एसएसकेएम अस्पताल में दिए गए बयान को वापस लेना एवं अस्पतालों में डॉक्टरों की पर्याप्त सुरक्षा का लिखित रूप से आश्वासन देना प्रमुख हैं।

इसबीच राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मसले पर विचार-विमर्श करने के लिए शुक्रवार देर शाम राजभवन बुलाया।

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हड़ताल के चलते कई मरीजों की मौत

डॉक्टर्स की हड़ताल के चलते पश्चिम बंगाल में अब तक 28 मरीजों की मौत हो चुकी है। इन मृतकों में दो नवजात भी शामिल है। इसके बावजूद डॉक्टर्स की हड़ताल जारी है। डॉक्टर्स ने काम पर जाने से इनकार कर दिया है। राज्य के अस्पतालों में डायलिसिस की सुविधा बंद है, मरीजों की ऑक्सीजन भी नहीं दिया जा रहा है। इन सबके बीच बढ़ती मौतों के आंकड़ों ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

डॉक्टरों पर हमला गैर-जमानती अपराध माना जाए- हर्षवर्धन

पश्चिम बंगाल के हड़ताली डॉक्टरों के समर्थन में देशभर में चिकित्सकों द्वारा एकजुटता दिखाए जाने के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने शुक्रवार को सरकार से ऐसा कानून पारित कराने का अनुरोध किया, जिसके तहत डॉक्टरों पर हमला गैर-जमानती अपराध माना जाए।

उन्होंने ट्वीट किया, “पश्चिम बंगाल ही नहीं, समूचे भारत में डॉक्टरों पर हमले जैसा जघन्य अपराध बार-बार होता है। सरकार को ऐसा कानून पारित कराना चाहिए, जिसके तहत डॉक्टरों पर किसी तरह का हमला गैर-जमानती अपराध माना जाए और अपराधी को कम से कम 12 साल कैद की सजा हो। ड्रैकोनियन क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट जो डॉक्टरों के साथ अपराधी जैसा व्यवहार करता है, उसे वापस लिया जाना चाहिए।”

 

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