जानिए कौन हैं तिहाड़ जेल में बंद अजय चौटाला, पत्नी या बेटा बनेगा डिप्टी CM
हरियाणा विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी तीसरी प्रमुख पार्टी बनकर उभरी है और अब वह हरियाणा में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रही है। दुष्यंत चौटाला देवीलाल चौटाला के पड़पोते हैं और उनके पिता अजय चौटाला हैं।
नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी तीसरी प्रमुख पार्टी बनकर उभरी है और अब वह हरियाणा में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रही है। दुष्यंत चौटाला देवीलाल चौटाला के पड़पोते हैं और उनके पिता अजय चौटाला हैं।
देवीलाल चौटाला हरियाणा के पहले नेता हैं जो देश के उपप्रधानमंत्री बने थे। दुष्यंत चौटाला ने करीब 10 महीने पहले ही जननायक जनता पार्टी(जेजेपी) बनाई थी। अब हरियाणा में वह किंगमेकर बन गई है। दुष्यंत चौटाला और उनकी मां नैना चौटाला हरियाणा की सरकार में उपमुख्यमंत्री बनेंगे।
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बता दें कि दुष्यंत चौटाला के पिता अजया चौटाला घोटाले में दोषी हैं और तिहाड़ जेल में बंद हैं। लेकिन उन्हें दो सप्ताह के लिए फरलो (जेल से छुट्टी) गई है और वह शनिवार शाम या रविवार तक बाहर आ सकते हैं।
घोटाले में हैं दोषी
अजय चौटाला हरियाणा में जूनियर बेसिक ट्रेंड (जेबीटी) टीचर भर्ती घोटाला मामले में जेल में बंद हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के अध्यक्ष ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने 10-10 साल की सजा सुनाई थी। इस घोटाले में कुल 55 लोगों को कोर्ट ने दोषी करारा दिया था।
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टीचर भर्ती घोटाले की सीबीआइ ने 2003 जांच शुरू की। जनवरी 2004 में राज्य के तत्कालीन सीएम ओमप्रकाश चौटाला, उनके विधायक पुत्र अजय सिंह चौटाला समेत कुल 65 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।
इस मामले की सबसे बड़ी बात यह रही कि इस मामले को सामने लाने में अहम भूमिका निभाने वाले राज्य के शिक्षा निदेशक संजीव कुमार को भी सीबीआइ ने आरोपी बना दिया और उनके खिलाफ भी केस दर्ज किया।
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सीबीआइ के मुताबिक संजीव कुमार भी इस घोटाले में बराबर शामिल रहे थे। उनका जब अन्य लोगों से विवाद हुआ तब उन्होंने घोटाले के खिलाफ आवाज उठाई।
इसके बाद सीबीआइ ने वर्ष 2008 में आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दायर किया। सीबीआइ ने अपने चार्जशीट कहा कि वर्ष 1999-2000 में राज्य के 18 जिले में हुई 3206 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती के मामले में नियमों को ताक पर रख दिया गया और मनचाहे अभ्यर्थियों की बहाली की गई थी।
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शिक्षकों की भर्ती की जिम्मेदारी कर्मचारी चयन आयोग से लेकर जिला स्तर पर बनाई गई चयन कमेटी को दी गई थी जिसने फर्जी साक्षात्कार के आधार पर चयनित अभ्यर्थियों की सूची तैयार की गई।
इसके लिए जिलास्तरीय चयन कमेटी में शामिल शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर मनचाहे अभ्यर्थियों के चयन के लिए दबाव भी बनाया गया था।