जवानों की हत्या पर सालों बाद सुनवाई, कोर्ट में पेश होगा ये आरोपी
जम्मू की टाडा कोर्ट में 30 साल बाद कश्मीर में भारतीय वायुसेना के चार जवानों की हत्या को लेकर यासीन मलिक के खिलाफ आज सुनवाई हुई। चार जवानों की हत्या के इस मामले में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट(जेकेएलएफ) के चेयरमैन और अलगाववादी नेता यासीन मलिक मुख्य आरोपी हैं।
नई दिल्ली : जम्मू की टाडा कोर्ट में 30 साल बाद कश्मीर में भारतीय वायुसेना के चार जवानों की हत्या को लेकर यासीन मलिक के खिलाफ आज सुनवाई हुई। चार जवानों की हत्या के इस मामले में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट(जेकेएलएफ) के चेयरमैन और अलगाववादी नेता यासीन मलिक मुख्य आरोपी हैं। यासीन मलिक पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी डॉ. रुबिया सईद के अपहरण का मामला भी चल रहा है।
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यासीन मलिक जोकि तिहाड़ जेल में बंद हो उनको कोर्ट में पेश नहीं किया गया। इस साथ ही यासीन मलिक को 1 अक्टूबर को अदालत में पेश करने के लिए न्यायधीश ने तिहाड़ जेल को नोटिस भी भेजा है। टाडा कोर्ट में हुई इस सुनवाई में सिर्फ एक ही आरोपी अली मोहम्मद मीर अदालत में मौजूद था।
यह हाई-प्रोफाइल मामला जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चेयरमेन यासीन मलिक का है। यासीन मलिक और उसके साथियों पर 25 जनवरी 1990 को कश्मीर के सनत नगर इलाके में 4 एयरफोर्स अधिकारियो की गोलियां मार के हत्या करने और 22 लोगों को जख्मी करने के आरोप लगे थे।
ये है पूरा मामला
25 जनवरी 1990 को यासीन मलिक के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के आतंकवादियों ने श्रीनगर के बाहरी इलाके में वायुसेना के जवानों पर हमला किया। आतंकियों ने जवानों पर उस वक्त गोलियां चलाईं जब वे बस का इंतजार कर रहे थे। आतंकी हमले में स्कवार्डन लीडर रवि खन्ना समेत वायुसेना के 4 जवानों की मौत हो गई थी। जबकि अन्य 6 लोग घायल हो गए थे।
इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी। सन् 1990 में जम्मू की टाडा कोर्ट में दायर की सीबीआई की चार्जशीट में यासीन मलिक मुख्य आरोपी थे। हालांकि, यासीन मलिक के खिलाफ मामले को सन् 1995 में जम्मू से अजमेर स्थानांतरित कर दिया गया था। इसके बाद जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट ने इसे 1998 में जम्मू टाडा अदालत में स्थानांतरित कर दिया।
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यासीन मलिक की याचिका खारिज
इसके बाद यासीन मलिक ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के श्रीनगर विंग के समक्ष एक नई याचिका दायर की। जिसमें मामले की सुनवाई को श्रीनगर में स्थानांतरित करने की मांग की गई। जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के श्रीनगर विंग के स्थगन आदेश के कारण मामले में कार्यवाही फिर अटक गई।
हालांकि, मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद सीबीआई हरकत में आई। सीबीआई की वकील मोनिका कोहली ने यासीन मलिक की याचिका का विरोध किया और जम्मू की टाडा अदालत में मुकदमे को फिर से शुरू करने की मांग की। उच्च न्यायालय की जम्मू विंग ने यासीन मलिक की याचिका को खारिज कर दिया।
इस आतंकी हमले में स्क्वाडर्न लीडर रवि खन्ना अपने 3 साथियों के साथ शहीद हो गए थे। रवि खन्ना की पत्नी शालिनी खन्ना को 30 साल बाद इस मामले में आशा की उम्मीद जगी है कि शायद अब हमें इंसाफ मिल सकेगा। शालिनी खन्ना ने अपने पति को इंसाफ दिलाने के लिए बीते तीस सालों से संघर्ष कर रही हैं।
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