जेटली बोले- मैं एयर इंडिया को पूरी तरह बेचने के पक्ष में, 86% यात्री ले रहे निजी विमानन सेवा
नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली की मानें तो वह एयर इंडिया को पूरी तरह बेचने के पक्ष में हैं। बता दें, कि सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया लगातार घाटे में चल रही है। उसके निजीकरण की तैयारियों को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में जेटली ने ये बातें कहीं।
अरुण जेटली ने कहा, 'यदि आप बड़ी राशि खर्च करने जा रहे हैं तो जनता का पैसा पहले ही 55,000 करोड़ रुपए तक फंस चुका है। क्या यह रकम स्वास्थ्य पर खर्च होनी चाहिए या इस राशि से सिंचाई की व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए? हमें सोचना होगा कि क्या इस रकम को हमें सरकारी एयरलाइंस चलाने पर खर्च करना चाहिए, जबकि उड्डयन सेक्टर में निजी एयरलाइंस कंपनियों को उतारने की नीति खासी सफल रही है।'
यात्री निजी एयरलाइंस पर ज्यादा निर्भर
वित्त मंत्री ने कहा, कि 'घरेलू उड्डयन सेक्टर में पहले ही 86 प्रतिशत यात्री प्राइवेट एयरलाइंस के जरिए सफर कर रहे हैं। यह आंकड़ा 86 फीसदी हो या फिर 100 फीसदी, इससे बहुत फर्क नहीं पड़ता। एयर इंडिया आगे भी नेशनल कैरियर रह सकती है और इसके प्रबंधन के लिए कोई और कीमत चुका सकता है।'
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निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों के आने से बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा
जेटली ने कहा, 'मौजूदा खिलाड़ियों के अलावा अगर निजी क्षेत्र के खिलाड़ी आते हैं और एयर इंडिया के प्रस्तावित निजीकरण में भाग लेते हैं, तो मैं समझता हूं कि इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और गुणवत्ता में बढ़ोतरी होगी। इस पर कितनी तेजी से काम होगा और किस तरीके से होगा, इसका निर्णय नागरिक विमानन मंत्रालय करेगा।'
सरकार सामूहिक रूप से विचार करेगी
यह पूछे जाने पर कि सरकार द्वारा एयर इंडिया के भारी भरकम कर्ज का एक बड़ा हिस्सा चुकाए बगैर वह किस तरह से खरीदार जुटाएगी। जेटली ने कहा, 'मैं समझता हूं कि कर्ज के कई घटक हैं, जिसमें संपत्तियां भी हैं, जो कि विमान है, हवाई मार्ग हैं, बहुत सारी अचल संपत्तियां हैं और बाकी की सरकार की जिम्मेदारी है। देखते हैं कि नागरिक विमानन मंत्रालय इस पर क्या फैसला करता है। उसके बाद सरकार इस पर सामूहिक रूप से विचार करेगी।'