पटना : बंद की राजनीति और बिहार में नेतृत्व से जुड़े सवालों के साथ ‘अपना भारत’ ने कांग्रेस के बिहार प्रदेश कौकब कादरी से लंबी बातचीत की। इस साक्षात्कार में कादरी ने बंद के दौरान हंगामे के लिए भाजपा को जिम्मेदार बताया और लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की छवि को ही आगे रखने की बात कही।
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भारत बंद का कॉल सर्वदलीय विपक्ष का था या कांग्रेस का?
अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राहुल गांधी के निर्देश पर भारत बंद का निर्णय लिया गया था। भाजपा के वर्तमान शासनकाल में पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हो रही है। जनता के इस मुद्दे को कांग्रेस जनता के जरिए सरकार तक ले जाना चाह रही थी। जहां तक सहयोगी दलों की बात है तो इसमें हमारे तमाम सहयोगी दल सम्मिलित थे। लालू प्रसाद, तेजस्वी यादव, जीतन राम मांझी…सभी से बात हुई थी। सीपीआई, सीपीएम, सपा, बसपा सभी से सहयोग मांगा था। चिट्ठी निर्गत कर स्वयंसेवी संस्थान, व्यावसायिक केंद्र, स्कूल एसोसिएशन, ऑटो एसोसिएशन आदि से भी सहयोग मांगा था। हर जगह से सहयोग मिला।
मतलब, बंद की मुख्य भूमिका कांग्रेस की ही थी?
हां, निश्चित रूप से। वर्षों बाद बिहार में इस तरह का समर्थन मिला है किसी भारत बंद को। जनता ने भी पूरा सहयोग दिया। कांग्रेस जनता के मुद्दे को जिस तरह सामने लाना चाह रही थी, वह सामने आया।
तब तो बिहार में बंद के दौरान हंगामे की जिम्मेदार भी कांग्रेस है?
कांग्रेस ने शांतिपूर्ण तरीके से बंद का आह्वान किया था। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुरजेवाला जी ने शुरू में ही यह घोषणा की थी। मैंने भी प्रेस कांफ्रेंस के जरिए शांतिपूर्ण बंद का आह्वान किया था। हॉस्पीटल, एम्बुलेंस, स्कूल वैन आदि को नहीं रोकने-टोकने का निर्देश था। यही सभी जगह हुआ। बिहार में हमारे बंद को बदनाम करने के लिए भाजपा, बजरंग दल, आरएसएस वालों ने साजिश रची। सीतामढ़ी में बजरंग दल के लोग ईंट-पत्थर चला रहे थे, ताकि कांग्रेस बदनाम हो। सरकार को इसपर रोक लगानी चाहिए थी, लेकिन नहीं किया गया। हमारे सहयोगी दल के नेता या कार्यकर्ता की संलिप्तता नहीं थी किसी हंगामे में।
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जब बंद आपका था तो हर तरह की जिम्मेदारी भी आपकी ही होगी?
हम या हमारे सहयोगियों ने हंगामा-बवाल नहीं किया है। इसलिए, इसकी जिम्मेदारी कैसे ले सकते हैं। अगर कहीं साबित हो जाए कि हमारे सहयोगी बवाल कर रहे थे, तो समझेंगे। यहां तो भाजपा का ही चेहरा बेनकाब हुआ है। गया के बेला प्रखंड के प्रमोद मांझी की बेटी गौरी की बीमारी से मौत के मामले को भाजपा के साथ ही मीडिया ने भी बंद का असर बता दिया, लेकिन बाद में सच सामने आया। इसके लिए तो केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को विशेष रूप से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। सीतामढ़ी में जो हुआ, उसके लिए कांग्रेस ने पहले ही आशंका जताई थी कि कई जगह बजरंग दल वाले शांतिपूर्ण बंद में खलल डाल सकते हैं।
लेकिन, तस्वीरें तो बंद समर्थकों के झंडे के साथ हैं। इसकी कहानी को एक मिनट के लिए सही मानें तो कांग्रेस का नेतृत्व क्षेत्रीय दलों को स्वीकार नहीं लग रहा।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय नेतृत्व की छवि सामने लाती है। पहले सोनिया गांधी की छवि थी, अब राहुल गांधी को देखकर वोटिंग का ट्रेंड रहता है कांग्रेस समर्थकों में। देश का चुनाव है तो जाहिर तौर पर राहुल गांधी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेंगे। वैसे, बिहार में हर सहयोगी दल के पास उसके नेता हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी से मुकाबले के लिए राहुल गांधी का चेहरा लेकर ही हम उतरेंगे।