पटना: बिहार में पिछले एक महीने से जारी सियासी उठापटक के बाद आखिरकार नीतीश कुमार ने बड़ा फैसला लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। महागठबंधन के दो दलों राजद और जेडीयू के बीच उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को लेकर चल रहे शीतयुद्ध का यह अंत बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव लाने वाला कदम माना जा रहा है।
राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद मीडिया से बातचीत में नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने गठबंधन धर्म का पालन किया। ऐसे घुटन भरे माहौल में मेरे लिए काम करना व सरकार का नेतृत्व करना संभव नहीं। हमने कभी किसी का इस्तेमाल नहीं किया। हमने तो यही कहा था कि जो भी आरोप लगे हैं उन्हें स्पष्ट कीजिए।
नीतीश के इस्तीके के तत्काल बाद प्रधानमंत्री मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा फैसला लेने के लिए नीतीश को बधाई दी और यहां तक कह डाला कि भ्रष्टाचार के खिलाफ राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर जंग छेडऩे की जरुरत है। इसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि नीतीश भाजपा के समर्थन से आवश्यक बहुमत की भरपाई करने में कामयाब हो जाएंगे।
अंतरात्मा की आवाज पर पद छोड़ा
मीडिया से बातचीत में नीतीश ने भ्रष्टाचार के मामले में फंसे तेजस्वी यादव का नाम लिए बगैर कहा कि हमने किसी का इस्तीफा नहीं मांगा है। मैंने अंतरात्मा की आवाज पर पद छोडऩे का फैसला किया है। यह कोई संकट नहीं है बल्कि यह अपने आप पैदा किया गया संकट है। हमने इतने दिनों तक इंतजार किया और लगा कि अब काम नहीं हो पाएगा। मेरी इस्तीफे के संबंध में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी बात हुई है।
हमने नोटबंदी का समर्थन किया तो मुझ पर न जाने क्या-क्या आरोप लगाए जाने लगे। उसी समय मैंने कहा था कि बेनामी संपत्ति के खिलाफ भी कड़े कदम उठाइए। हमने कभी फायदे के हिसाब से कोई राजनीति नहीं की। हमने वही कदम उठाया जो जनहित में था।
शराबबंदी जैसा मजबूत फैसला लिया
शराबबंदी के फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह फैसला लेना आसान नहीं था मगर मैंने अडिग रहते हुए शराबबंदी के फैसले को लागू किया। नीतीश ने कहा कि पिछले एक महीने के दौरान राज्य में लोगों के बीच चर्चा का एकमात्र मुद्दा यही था। लोगों के बीच सरकार के काम को लेकर कोई चर्चा नहीं हो रही थी।
ऐसे माहौल में काम करने का कोई मतलब नहीं है। नीतीश ने कहा कि मुझसे इन दिनों एक ही सवाल पूछा जाता था कि उपमुख्यमंत्री पर क्या फैसला होने जा रहा है। मैंने जिस तरह की राजनीति की है उसमें यही एक रास्ता बचा था कि मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दूं। मैं राजनीतिक चरित्र इस तरह का नहीं है कि मैं ऐसे माहौल में काम कर सकूं।
कफन में कोई जेब नहीं होती
इस्तीफा देने के बाद नीतीश दार्शनिक अंदाज में दिखे। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि बापू ने कहा था कि जरुरत सबकी पूरी होती मगर लालच पूरी नहीं होती। उन्होंने भ्रष्टाचार से पैसा कमाने वालों पर अप्रत्यक्ष हमला करते हुए कहा कि कफन में कोई जेब नहीं होती। आदमी खाली हाथ आता है और खाली हाथ जाता है। मीडिया से बातचीत में नीतीश ने कहा कि कांग्रेस से इस मुद्दे पर चर्चा हुई है।
नीतीश ने कहा कि राज्यपाल ने उनसे नई व्यवस्था होने तक कामधाम देखने को कहा है। बुधवार की सुबह ही पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने नीतीश के इस्तीफे के संकेत दे दिए थे। तेजस्वी पर इस्ती$फे के लिये बन रहे दबाव के बाद भी उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया था जिसके बाद से ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि नीतीश कुमार अपने पद से कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं।
राष्ट्रपति चुनाव से बढ़ीं दूरियां
नीतीश कुमार के इस्तीफे के पीछे की कहानी राष्ट्रपति चुनाव से शुरू होती है। महागठबंधन में पहले इस बात पर सहमति थी कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक साझा उम्मीदवार घोषित किया जाए। महागठबंधन के उम्मीदवार घोषित करने से पहले एनडीए ने रामनाथ कोविंद को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।
महागठबंधन में शामिल दोनों दल जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल की ओर से विधानमंडल की बैठक बुलाई गई। राजद ने अपनी तरफ से यह साफ कर दिया कि वह किसी भी कीमत पर तेजस्वी का इस्तीफा मंजूर नहीं करेग। उधर, जेडीयू ने विधानसमंडल दल की बैठक की और इस मुद्दे पर कोई समझौता न करने का फैसला किया। इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीधे गवर्नर से मिलने के लिए निकले।
लालू ने कर दिया था तेजस्वी के इस्तीफे से इंकार
राजद सुप्रीमो लालू यादव जब अपने बेटे तेजस्वी और पत्नी राबड़ी देवी के साथ मीडिया के सामने मुखातिब हुए तो उन्होंने साफ कह दिया कि उन्हें तेजस्वी की इस्तीफा मंजूर नहीं है। लालू ने बकायदा इसके लिए मीडिया को कसूरवार ठहराते हुए कहा कि ये सब मीडिया की दिमागी उपज है।
महागठबंधन में दरार की खबरों के बीच राजद सुप्रीमो ने कहा कि ये सब मीडिया की देन है और नीतीश कुमार क्या फैसला लेंगे ये बात या तो नीतीश कुमार बता सकते हैं या फिर मीडिया। लालू ने आगे कहा कि वे चाहते हैं कि गठबंधन अपना कार्यकाल पूरा करे और नीतीश कुमार महागठबंधन दल के नेता हैं और आगे रहेंगे। दूसरी तरफ उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी स्पष्ट शब्दों में ये कहा कि जब उनसे इस्तीफा ही नहीं मांगा गया है तो वे क्यों अपना पद छोड़ें।
दोनों दलों की हुई अलग-अलग बैठक
बिहार के मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफा न देने पर अड़ी राजद ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर विधानमंडल की बैठक बुलाई । राजद ने बैठक में अपने सभी विधायकों और विधान पार्षदों को अनिवार्य रूप से शामिल होने के लिए कहा था। जबकि, दूसरी तरफ इसी मुद्दे पर नीतीश कुमार 1, अणे मार्ग पर जेडीयू विधानमंडल दल की बैठक की। जेडीयू ने पहले यह बैठक 27 जुलाई को रखी थी लेकिन फिर यह बैठक एक दिन पहले बुलाई गई।