दसॉल्ट के CEO एरिक ने बताई राफेल डील की हकीकत, कहा- हमने रिलायंस को चुना

Update: 2018-11-13 09:45 GMT

नई दिल्ली: जिस राफेल विमान डील पर देश में तूफान मचा हुआ है, इसी मुददे पर फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट के सीईओ का इंटरव्यू सामने आया है।उन्होंने इस इंटरव्यू में हर आरोप पर जवाब दिया है, जबकि राहुल गांधी के आरोपों को गलत बताया है।राफेल विमान डील का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में इस डील पर उठ रहे हर सवाल का जवाब दिया। इस इंटरव्यू में उन्होंने राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोप को झूठा करार दिया।

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गौर तलब हो कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्ष मोदी सरकार पर इस डील में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहा है।

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एरिक ट्रैपियर ने राफेल डील पर राहुल गांधी द्वारा लगाए जा रहे सभी आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने दसॉल्ट और रिलायंस के बीच हुए ज्वाइंट वेंचर के बारे में सरासर झूठ बोला है।एरिक ट्रैपियर कहा कि डील के बारे में जो भी जानकारी दी गई है वह बिल्कुल सही है, क्योंकि वे झूठ नहीं बोलते हैं।

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शुरुआत से ही भारत से रहे संबंध

एरिक ट्रैपियर ने अपनी कंपनी और कांग्रेस के रिश्तों के बारे में बताते हुए कहा ,कि उनकी कंपनी और कांग्रेस का रिश्ता काफी पुराना रहा है, उनकी पहली डील 1953 में जवाहर लाल नेहरु के रहते हुए हुई थी। उन्हों ने यह भी साफ किया कि भारत में हमारी डील किसी पार्टी से नहीं बल्कि देश के साथ है, हम लगातार भारत सरकार को फाइटर जेट मुहैया कराते हैं।एरिक ट्रैपियर ने यह भी साफ किया हमने जो पैसा इन्वेस्ट किया है वह रिलायंस नहीं बल्कि ज्वाइंट वेंचर में है। उन्होंने कहा कि इस वेंचर में रिलायंस ने भी पैसा लगाया है।राफेल डील में , हमारे इंजीनियर इंडस्ट्रीयल पार्ट को लीड करेंगे। इससे रिलायंस को भी एयरक्राफ्ट बनाने का एक्सपीरियंस मिलेगा।

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एरिक बताया कि आखिरी दिनों में एचएएल ने खुद कहा था कि वह इस ऑफसेट में शामिल होने का इच्छुक नहीं हैं।एरिक बोले कि इस दौरान वह अन्य कंपनियों से करार के बारे में भी सोच रहे थे, जिसमें टाटा ग्रुप जैसे नाम शामिल थे। लेकिन उस समय हम निर्णय नहीं ले पाए, बाद में रिलायंस के साथ जाना तय हुआ।

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उन्होंने साफ किया कि ज्वाइंट वेंचर में 49 फीसदी हिस्सा दसॉल्ट और 51 फीसदी हिस्सा रिलायंस का है। इसमें कुल 800 करोड़ रुपये का इन्वेस्ट होगा, जिसमें दोनों कंपनियां 50-50 की हिस्सेदार होंगी।

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दसॉल्ट और रिलायंस के रिश्ते

दसॉल्ट के सीईओ ने कहा कि ऑफसेट को जारी करने के लिए हमारे पास 7 साल थे, जिसमें शुरुआती 3 साल में हम बाध्य नहीं हैं कि ऑफसेट के साथी का नाम बताएं. उसके बाद 40 फीसदी हिस्सा 30 कंपनियों को दिया गया, इसमें से 10 फीसदी रिलायंस को दिया गया।

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विमान के दाम के बारे में बतातें हुए उन्होंने कहा कि जो अभी एयरक्राफ्ट मिल रहे हैं, वह करीब 9 फीसदी सस्ते हैं। एरिक ट्रैपियर कहा कि जो 36 विमान का रेट है, वह मौजूदा 18 के बिल्कुल समान है। ये दाम दोगुना हो सकता था, लेकिन ये समझौता सरकार से सरकार के बीच का है इसलिए दाम नहीं बढ़ाया गया। बल्कि दाम 9 फीसदी सस्ता भी हुआ।उन्होंने ने बताया कि उड़ने के लिए तैयार स्थिति में 36 कॉन्ट्रैक्ट वाले राफेल का दाम 126 कॉन्ट्रैक्ट वाले दाम से काफी सस्ता है।

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ट्रैपियर ने यह भी साफ किया कि ये विमान सभी उपकरणों से लैस होंगे। लेकिन इसमें कोई हथियार नहीं होंगे। हथियार को नए अन्य कॉन्ट्रैक्ट में भेजा जाएगा।

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