उपराष्ट्रपति चुनाव: महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी होंगे विपक्ष के उम्मीदवार

कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम तय तय करने के लिए मंगलवार को पार्लियामेंट लाइब्रेरी बिल्डिंग में मीटिंग बुलाई।

Update:2017-07-11 13:22 IST
उपराष्ट्रपति चुनाव: महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी होंगे विपक्ष के उम्मीदवार

नई दिल्ली: कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम तय तय करने के लिए मंगलवार (11 जुलाई) को पार्लियामेंट लाइब्रेरी बिल्डिंग में मीटिंग बुलाई।

इस मीटिंग में गोपालकृष्ण गांधी का नाम विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर तय किया गया है। गोपालकृष्ण राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते भी हैं। वे वेस्ट बंगाल के गवर्नर भी रह चुके हैं। बताया जा रहा है कि बीजेपी की ओर से कैंडिडेट 13 या 14 जुलाई को तय किए जाने की उम्मीद है।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया ने कहा, "गोपालकृष्ण गांधी उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के उम्मीदवार हैं। हमने उनसे बात की है और वह विपक्ष के उम्मीदवार बनने के लिए सहमत हो गए।"

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मीटिंग की शुरुआत में अमरनाथ यात्रा पर हुए आतंकी हमले में जान गंवाने वाले लोगों के लिए मौन रखा गया। इस मीटिंग में कांग्रेस, जेडीयू समेत 18 पार्टियां शामिल हुईं। सभी पार्टियों ने सर्वसम्मति से गोपालकृष्ण गांधी का नाम तय किया। बता दें कि उपराष्ट्रपति उम्मीदवार तय करने के लिए हुई विपक्ष की बैठक में नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए। उनकी पार्टी की ओर से इसमें सीनियर लीडर शरद यादव मौजूद रहे।

मंगलवार को हुई बैठक के बाद विपक्षी नेताओं ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने गोपालकृष्ण गांधी के नाम का प्रस्ताव दिया, जिसका बैठक में मौजूद सभी दलों ने समर्थन किया। बैठक में किसी और नाम पर चर्चा नहीं हुई।

विपक्षी दलों ने बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार द्वारा अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से बदला लेने, किसानों द्वारा खुदकुशी, नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर को लागू किए जाने पर भी चर्चा की।

तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने आरोप लगाया कि सरकारी एजेंसियां राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) सहित विपक्षी दलों को निशाना बना रही हैं।

उन्होंने कहा, "मुद्दे पर सभी दलों के बीच सर्वसम्मति बनी। विपक्षी पार्टियां न सिर्फ संसद के अंदर और बाहर सहयोग कर रही हैं, बल्कि अन्य मंचों से भी, खासकर सोशल मीडिया पर।"

ओ ब्रायन ने कहा कि गोपालकृष्ण गांधी के नाम पर 15 मिनट के अंदर सहमति बन गई। सिर्फ एक नाम का प्रस्ताव आया और सिर्फ एक नाम पर चर्चा हुई।

नीतीश की पार्टी राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन दे रही है। इससे पहले गोपालकृष्ण गांधी का नाम राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए भी सुर्खियों में था, लेकिन एनडीए ने रामनाथ कोविंद को मैदान में उतारने का फैसला किया, जिसके बाद विपक्ष ने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के नाम का ऐलान किया।

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बता दें कि निर्वाचन आयोग ने गुरुवार (29 जून) को घोषणा की कि उपराष्ट्रपति पद के लिए मतदान पांच अगस्त को होगा। मौजूदा उपराष्ट्रपति एम. हामिद अंसारी का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है।

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मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने कहा था कि चुनाव सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे के बीच होगा। अधिसूचना जारी होने के साथ नामांकन-पत्र दाखिल करने की शुरुआत चार जुलाई से होगी, जिसकी अंतिम तिथि 18 जुलाई होगी। नामांकन-पत्रों की जांच 19 जुलाई को होगी। नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 21 जुलाई होगी।

वहीँ विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार हैं। राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग 17 जुलाई को होगी। मीरा कुमार और रामनाथ कोविंद नॉमिनेशन कर चुके हैं।

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बैठक में कौन कौन शामिल हुआ ?

बैठक में मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी, जनता दल-सेक्युलर के नेता व पूर्व पीएम एच.डी.देवगौड़ा, जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम व नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के उमर अब्दुल्ला, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) नेता सतीश मिश्रा, समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता नरेश अग्रवाल, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के नेता अजीत सिंह, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रफुल्ल पटेल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के डी.राजा और तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ'ब्रायन भी मौजूद रहे।

 

अगली स्लाइड में जानिए गोपालकृष्ण गांधी के बारे में

कौन हैं गोपालकृष्ण गांधी ?

-गोपाल कृष्ण गांधी का जन्म 22 अप्रैल 1945 को हुआ था।

-उनके पिता का नाम देवदास गांधी और मां का नाम लक्ष्मी था।

-गोपाल कृष्ण गांधी ने सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इंग्लिश लिट्रेचर में मास्टर्स की पढ़ाई की।

-वहीं गोपाल कृष्ण गांधी कई सरकारी पदों पर भी रह चुके हैं।

-1968 से 1992 तक वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहे।

-1985 से 1987 तक वह उप-राष्ट्रपति के सचिव पद पर भी रहे।

-इसके बाद साल 1987 से 1992 तक वह राष्ट्रपति के संयुक्त सचिव भी रहे और 1997 में राष्ट्रपति के सचिव भी बने।

-वह दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका के उच्चायुक्त के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

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