जीएसटी के एक साल पूरे, औसतन 91 हजार करोड़ हर महीने कर के रूप में मिले

Update:2018-06-30 15:58 IST

नई दिल्ली : गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) को 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था और आज इसके एक साल पूरे हो गए। एक जुलाई 2017 को सरकार ने 70 साल पुराना टैक्स सिस्टम खत्म कर दिया था। इसकी जगह जीएसटी लागू किया था। इसके तहत 5%, 12%, 18% और 28% के टैक्स स्लैब बनाए गए।

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जब जीएसटी लागू हुआ, तब सवाल ये उठा था कि इससे सरकार को रेवेन्यू का नुकसान हुआ। लेकिन पिछले 11 महीने के आंकड़े बताते हैं कि 17 अप्रत्यक्ष करों के बदले जीएसटी लागू करने से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ बल्कि सरकार ने हर महीने औसतन 91 हजार करोड़ रूपए टैकस के रूप में प्राप्त किये।

सरकार के नजरिए से अच्छा है आकड़ा

जीएसटी लागू होने के 11 महीनों यानी जुलाई 2017 से मई 2018 के बीच कुल टैक्स कलेक्शन 10.06 लाख करोड़ रुपए था जो हर महीने औसतन 91 हजार करोड़ रुपए रहा। जून 2018 के आंकड़े आने बाकी हैं। सरकार के नजरिए से यह आंकड़ा इसलिए अच्छा है क्योंकि इसमें पेट्रोलियम उत्पादों, शराब, तंबाकू और मनोरंजन पर लगने वाला टैक्स शामिल नहीं है।

कुछ देशों में गुड्स एंड सर्विस टैक्स के शुरुआती महीनों में महंगाई में इजाफा हुआ था। कनाडा में 1991 में 7% की दर से जीएसटी लागू किया गया था। इससे वहां महंगाई बढ़ी थी। कनाडा ने 2006 में टैक्स दर घटाकर 6% कर दी। 2008 में इसे 5% कर दिया गया। ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया को भी जीएसटी के बाद महंगाई को काबू करने के लिए कदम उठाने पड़े।

जीएसटी काउंसिल की अभी तक 27 बैठकें हुई

भारत में जीएसटी लागू होने के समय जुलाई 2017 में खुदरा महंगाई दर 2.36% थी। एक महीने बाद अगस्त 2017 में ये दर 3.36% पहुंच गई जो 5 महीने में सबसे ज्यादा थी। जीएसटी के 11 महीने बाद मई 2018 में महंगाई दर 4.87% रही।

जीएसटी काउंसिल की नवंबर 2017 की बैठक में 213 सामानों को अधिकतम 28% जीएसटी स्लैब से निकालकर 18% के स्लैब में शामिल किया। 5% जीएसटी के दायरे में शामिल 6 सामानों पर टैक्स खत्म कर दिया। कुल 213 आइटम्स पर टैक्स दरों में बदलाव किया।

18 जनवरी 2018 को 21 सामानों पर टैक्स की दरों में बदलाव, 40 सेवाओं पर टैक्स खत्म किया। एक अप्रैल 2018 को ई-बे बिल लागू किया गया, दिसंबर 2017 की बैठक में इसका फैसला लिया गया था। 4 मई 2018 को कारोबारियों के लिए सबसे ज्यादा परेशानी वाली रिटर्न प्रक्रिया आसान करने के फैसले पर सहमति बनी। अब महीने में तीन की बजाय एक रिटर्न भरना होगा। 5 महीने में ये व्यवस्था लागू होने की उम्मीद है।

जीएसटी काउंसिल की अभी तक 27 बैठकें हुई हैं और इसकी 28वीं बैठक 21 जुलाई को होगी। जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में कुछ और उत्पादों पर टैक्स घटाने का फैसला लिया जा सकता है।

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