नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर को प्राप्त विशेषाधिकार अनुच्छेद 35ए पर सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की विशेष बेंच ने सोमवार को सुनवाई की। केंद्र सरकार की तरफ से उपस्थित अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने हलफनामा देकर नोटिस पर जवाब देने के लिए आठ हफ्ते का वक्त मांगा है। जिसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई टाल आगे बढ़ा दी।
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इस विशेष बेंच में प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अजय माणिकराव खानविलकर शामिल हैं।
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इस कानून के खिलाफ दिल्ली स्थित एनजीओ 'वी द सिटीजन' ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके इसे खत्म करने की अपील की थी। इस याचिका में कहा गया कि अनुच्छेद 35ए के कारण संविधान प्रदत्त नागरिकों के मूल अधिकार जम्मू-कश्मीर में छीन लिए गए हैं, इस कारण राष्ट्रपति के आदेश से लागू इस धारा को केंद्र सरकार फौरन रद्द करे।याचिककर्ता ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 यानी समानता के अधिकार का हनन बताया।
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इस मामले पर 17 जुलाई को हुई सुनवाई में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच को बताया कि इस याचिका ने संवैधानिक मुद्दा उठाया है। जिस पर कोर्ट ने इस तीन जजों की बेंच के पास भेज कर मामले के हल के छह हफ्तों का समय निर्धारित किया था।
क्या है अनुच्छेद 35ए
अनुच्छेद 35ए भारतीय संविधान में एक 'प्रेंसीडेशियल आर्डर' के जरिये 1954 में जोड़ा गया था। यह राज्य विधानमंडल को कानून बनाने की कुछ विशेष शक्तियां अनुच्छेद 35ए देता है। इसमें वहां की विधानसभा को स्थायी निवासियों की परिभाषा तय करने का अधिकार मिलता है, जिससे अन्य राज्यों के लोगों को कश्मीर में जमीन खरीदने, सरकारी नौकरी करने या विधानसभा चुनाव में वोट करने पर रोक है।
जन आंदोलन की चेतावनी दी अलगाववादियों ने
इस मामले की सुनवाई शुरू होने से पहले राज्य में अलगाववादी नेताओं सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासिन मलिक ने एक संयुक्त बयान जारी कर लोगों से अनुरोध किया कि अगर सुप्रीम कोर्ट राज्य के लोगों के हितों और आकांक्षा के खिलाफ कोई फैसला देता है, तो वे लोग एक जनआंदोलन शुरू करें ।
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अलगाववादी नेताओं ने का तर्क है कि राज्य सूची के कानून से छेड़छाड़ का कोई कदम फलस्तीन जैसी स्थिति पैदा करेगा। उनका दावा है कि मुस्लिम बहुल राज्य की जनसांख्यिकी को बदलने के लिए एक साजिश रची जा रही है।
आधार संबंधित याचिकाओं पर संविधान पीठ सुनवाई करेगी
एक दूसरे मामले की सुनवाई करते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि निजी जीवन में दखल देने और निजता के अधिकार का उल्लंघन करने के आरोपों को लेकर आधार कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पांच सदस्यीय संविधान पीठ सुनवाई करेगी। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि इस मामले में सुनवाई नवंबर के आखिरी सप्ताह में होगी।