लखनऊ: समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर परिवार में किसी भी तरह का विवाद होने से इनकार किया है। विपक्षी पार्टियां भले ही चाचा-भतीजे के झगड़े पर चुटकी लेती रहें, लेकिन सपा सुप्रीमो के मुताबिक परिवार में सब ठीक चल रहा है। शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय पर हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुलायम ने कहा कि जब तीन पीढ़ियों से सपा परिवार में कोई विवाद नहीं हुआ तो फिर अब क्या होगा। रोज शिवपाल और अखिलेश की बात होती है और आज भी शिवपाल अखिलेश से मिलकर आए है। शिवपाल यादव पार्टी के प्रभारी और सबकुछ हैं। सीएम का चुनाव विधानमंडल दल तय करेगा। इशारा साफ था कि अभी कोई चेहरा नहीं है कोई अखिलेश खुद को चेहरा न समझे। चुनाव उन्हीं के नाम पर लड़ा जाएगा।
मेरे नाम पर मिला था वोट: मुलायम
-मुख्यमंत्री कौन होगा कोई जानता ही नहीं था। मेरे नाम पर चुनाव लड़ा गया था। मेरे नाम पर वोट मिले थे।
-मैंने तो कलम घिसने से ऊबने के नाते अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाया था।
गायत्री प्रसाद को सौंपी नई जिम्मेदारी
-मुलायम ने मंत्री गायत्री प्रसाद को निर्विवाद बताया और उन्हें रजत जंयती समारोह का संयोजक बनाया है।
-प्रजापति के मंत्री बनने को समाजवादी पार्टी की सियासत का चमत्कार बताया।
लालू पर निकला दिल का दर्द
-नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव का पीएम न बन पाने का दर्द एक बार फिर छलका।
-मुलायम बोले कि उस वक्त उन्होंने देवगौड़ा के नाम का प्रस्ताव किया था। ज्योति बसु ने पहले अपने नाम का प्रस्ताव न स्वीकार कर मुलायम का नाम पीएम के लिए आगे बढ़ाया, लेकिन लालू ने उसका विरोध कर दिया था। नेताजी ने एक बार फिर कहा, अब क्या कहें वो हमारे रिश्तेदार हैं।
और क्या बोले मुलायम ?
- यूपी की जनता को सपा परिवार पर पूरा विश्वास है। पांच नवंबर को धूमधाम से पार्टी की रजत जंयती मनाएगी।
-मामूली सी पार्टी को सबने मिलकर कहां से कहां तक पहुंचाया है। वक्त आने पर चुनावी रथ, साइकिल और हेलिकॉप्टर सब चलेगा।
-पार्टी स्थापना के 11 महीने के अंदर हमने सरकार बनाई। रक्षामंत्री के तौर में मैंने जो किया लोग आज भी उसे याद करते हैं।
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-यह सपा का चमत्कार है कि प्रजापति मंत्री हैं और ऐसे-वैसे नहीं प्रभावशाली मंत्री और नेता हैं।
-कॉमन सिविल कोर्ट को लेकर कोई विवाद नहीं है। इस पर लोहिया ने सबसे पहले प्रस्ताव रखा था।
बुआ को बहुत मानते हैं अखिलेश
-अखिलेश अपनी बुआ को बहुत मानते हैं। उसके पालन-पोषण में मेरी बहन का बहुत बड़ा हाथ रहा है।
-पहली पत्नी को याद करते हुए बोले कि अखिलेश की मां बहुत सीधी थी और उसने सबके लिए काफी कुछ किया।
-अखिलेश की पढ़ाई-लिखाई पर मैंने काफी ध्यान दिया।