नई दिल्ली: संसद के 15 दिसंबर से होने वाले शीतकालीन सत्र पर शुक्रवार (24 नवंबर) को कैबिनेट कमेटी ने मुहर लगा दी। शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से 5 जनवरी तक चलेगा। कैबिनेट कमेटी ने शुक्रवार को तारीखों पर पर मुहर लगाई। केंद्र सरकार ने संसदीय मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीपीए) की बैठक बुलाई थी, जिसमें तारीख का ऐलान किया गया। खास बात यह रहेगी कि 15 दिसंबर से पहले गुजरात चुनाव के मतदान हो जाएंगे।
आम तौर पर शीतकालीन सत्र नवंबर के तीसरे हफ्ते में शुरू होता है। पिछले साल शीतकालीन सत्र 16 नवंबर से शुरू होकर 16 दिसंबर तक चला था। इस साल दो राज्यों में चुनावी प्रक्रिया जारी रहने की वजह से शीतकालीन सत्र को बुलाने में देरी हुई। यह कोई पहला मौका नहीं है जब शीतकालीन सत्र में देरी हुई है। इसके पहले मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए के कार्यकाल में 2008 और 2013 में भी शीतकालीन सत्र दिसंबर में बुलाया गया था।
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सोनिया ने साधा था निशाना
यूपीए और कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शीतकालीन सत्र को बुलाए जाने में हो रही देरी को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा था। उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकार भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दों पर विपक्ष के सवालों से बचना चाहती है।
पहले भी होती रही है देरी
शीतकालीन सत्र को देरी से बुलाए जाने के सवाल पर संसदीय राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा था, कि 'कोई देरी नहीं हो रही है। तारीख आगे-पीछे होती रहती हैं। कांग्रेस के जमाने में भी कई बार शीतकालीन सत्र दिसंबर में बुलाया गया था। कांग्रेस के आरोप बेबुनियाद हैं।'
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ऐसा नहीं, हम जानबूझकर देरी कर रहे
मेघवाल ने आगे कहा, कि 'इस सरकार में अब तक कोई भ्रष्टाचार का मामला सामने नहीं आया है, ना ही कोई सवाल उठा सकता है। मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रखी है, इसलिए इन बातों में कोई दम नहीं है।' उन्होंने कहा, कि 'ऐसा कुछ नहीं है कि हम जानबूझकर देरी कर रहे हैं। सीसीपीए कमेटी बनी हुई है और वही तय करती है कि इसकी तारीख क्या होगी।