मन की बात: PM मोदी बोले- आस्था के नाम पर हिंसा नहीं बर्दाश्त
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज(27 अगस्त) अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिये लोगों को संबोधित करेंगे। यह पीएम के रेडियो कार्यक्रम का 35वां एपिसोड होगा।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज(27 अगस्त) अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिये 35वीं बार देश के लोगों को संबोधित कर रहे हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने डेरा हिंसा मुद्दे से शुरू की। उन्होंने कहा कि आस्था के नाम पर हिंसा कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसको ना सरकार सहेगी ना जनता। सबको कानून के आगे झुकना होगा।
- सबको कानून से डरना होगा। इस मामले में सभी दोषियों को सजा मिलेगी।
- इस बार लोगों के एको-फ्रेंडली मूर्ति का इस्तेमाल करने पर भी मोदी ने ख़ुशी जताई और कहा कि ये एक अच्छी पहल है।
गरीबों की ईमानदारी पर शक ना करें- PM मोदी
- पीएम मोदी ने कहा कि हम अक्सर छोटे दुकानदारों, गरीब ठेलेवालों से ही मोलभाव करते हैं।
- हम बड़े शोरूम्स या रेस्टुरेंट में पैसों को लेकर बहस नहीं करते।
- ये बेहद गलत बात है। हमें छोटे और गरीब लोगों की ईमानदारी पर शक नहीं करना चाहिए। उनकी मेहनत पर ऊँगली नहीं उठानी चाहिए।
साइ केंद्रों में ख़ास तैयारी
- पीएम मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम को सुनने के लिए देशभर में स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के केंद्रों में खास तैयारी की गई है।
- पीएम मोदी ने 29 अगस्त को होने वाले राष्ट्रिय खेल दिवस की बधाई भी दी।
- उन्होंने देश की युवा पीढ़ी से अपील कि और कहा कि ज्यादा से ज्यादा नौजवान खेल से जुड़े।
-आज कंप्यूटर के युग में प्लेइंग फील्ड प्ले स्टेशन से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
- कंप्यूटर में FIFA खेलिए , मगर बाहर भी तो कुछ करतब करके दिखाइए।
- आप कंप्यूटर पर क्रिकेट खेलते होंगे। मगर खुले मैदान में क्रिकेट खेलना का मजा कुछ और ही है।
शिक्षक दिवस पर बदलाव का संकल्प लें
- हमारे देश में जब हम ट्रांसफॉर्मेशन की बात करते हैं तो जिस तरह घर में मां की याद आती है उसी तरह समाज में शिक्षक की याद आती है।
- बदलाव में सबसे बड़ा हाथ शिक्षकों का है। इस शिक्षक दिवस सभी बदलाव का संकल्प लें।
जन धन योजना पर बोले पीएम-
- 'प्रधानमंत्री जन धन योजना'- ये केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में आर्थिक जगत के पंडितों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।
- तीन साल के भीतर भीतर समाज के आखिरी छोर पर बैठा मेरा गरीब भाई,अर्थव्यवस्था की मूल-धरा का हिस्सा बना हुआ है।
- वो अब बदलअ है। वो अब बैंक जाने लगा है। अपने पैसों को बचाने और उन्हें महफूज समझने लगा है।