नई दिल्ली : पीएम नरेंद्र मोदी पर विजय माल्या के मामले में एक 'षड्यंत्रकारी चुप्पी साधने' का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने सवाल किया कि वह भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या और वित्त मंत्री अरुण जेटली के बीच हुई मुलाकात की 'स्वतंत्र जांच' का आदेश क्यों नहीं दे रहे हैं। जेटली को हटाने की मांग करते हुए कांग्रेस ने कहा कि 1 मार्च 2016 को माल्या और जेटली के बीच मुलाकात के चौंकाने वाले खुलासे के बाद, मोदी और जेटली दोनों ने 'षड्यंत्रकारी चुप्पी' साध रखी है।
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कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पूछा, क्या यह चुप्पी मोदी और जेटली द्वारा दोष की स्वीकारोक्ति है?
उन्होंने कहा, मोदी सरकार के राज एक-एक कर बाहर आ रहे हैं, जोकि माल्या को कानून की गिरफ्त से भगाने के लिए सरकारी एजेंसियों जैसे सीबीआई, ईडी, एसएफआईओ और बैंकों की एक भयावह साजिश और गठबंधन का खुलासा कर रहे हैं। जेटली और एसबीआई की अगुवाई में बैंकों के समूह तथा सीबीआई/एसएफआईओ को इन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जवाब देने की जरूरत है।
कांग्रेस नेता ने कहा, "बैंकों के समूह ने माल्या मामले में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे से 28 फरवरी 2016 को सलाह लेने के लिए मुलाकात की थी। दवे ने गुरुवार को ऑन रिकार्ड कहा कि उन्होंने एसबीआई प्रबंधन को अगले दिन सर्वोच्च न्यायालय जाने के लिए कहा था और माल्या के पासपोर्ट को जब्त करवाने के लिए कहा था। एसबीआई प्रबंधन और अन्य बैंक अगले दिन माल्या के खिलाफ कार्रवाई करने या उसे भागने से रोकने के लिए नहीं आए।"
उन्होंने पूछा, "मोदी सरकार में ऐसा कौन है, जिसने माल्या को विदेश भागने से रोकने के लिए एसबीआई व अन्य बैंकों को 29 फरवरी 2016 को सर्वोच्च न्यायालय नहीं जाने के लिए कहा?"
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सुरजेवाला ने कहा, "बैंकों ने क्यों 5 मार्च 2016 का इंतजार किया, जब माल्या 2 मार्च को पहले ही देश से भाग चुका था। क्या माल्या को भगाने के लिए यह सभी एक भयावह साजिश का इशारा नहीं करते?"
उन्होंने कहा, "तत्कालीन अटॉर्नी जनरल और जेटली के करीबी दोस्त मुकुल रोहतगी ने भी यह चौंकाने वाला खुलासा किया था कि माल्या को संभवत: गुप्त सूचना मिली थी और इसलिए वह भाग गया।"
सुरजेवाला ने कहा, "अगर प्रधानमंत्री इस पर कार्रवाई नहीं करेंगे, तो इससे साबित होगा कि चौकीदार न केवल भागीदार है बल्कि दोषी भी है।"