नई दिल्ली: रामनाथ कोविंद ने देश के नए राष्ट्रपति के तौर पर मंगलवार को शपथ ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जेएस खेहर ने उन्हें शपथ दिलाई। शपथ लेने के बाद अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि मुझे भारत के राष्ट्रपति का दायित्व सौंपने के लिए सभी का आभार व्यक्त करता हूं। सेंट्रल हॉल में आकर पुरानी यादें ताजा हुईं। मैं मिट्टी के घर में पला बढ़ा हूं, मेरी ये यात्रा काफी लंबी रही है।
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शपथ लेेने से पहले रामनाथ कोविंद ने राजघाट पहुंचकर राष्ट्रपति महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। उनके साथ पत्नी भी मौजूद रहीं। इसके बाद उन्होंने रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन की लाइब्रेरी में प्रणब मुखर्जी से भी मुलाकात की। इसके बाद दोनों एक कार में संसद भवन के लिए रवाना हुए।
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सुप्रीम कोर्ट की ओर से सोमवार को की गई घोषणा के अनुसार, न्याय संबंधी कामकाज मंगलवार को दोपहर बाद दो बजे से शुरू होगा।
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नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को शपथ यूं तो प्रधान न्यायाधीश ही दिलाते रहे हैं, लेकिन राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश शामिल होने जा रहे हैं।
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अब तक चार राष्ट्रपतियों- के.आर. नारायणन, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी को नामांकन दाखिल करने में वैधानिक सहयोग दे चुके वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एच. पारेख ने कहा, "मैं बहुत दावे के साथ तो नहीं कह सकता, पर जहां तक मुझे याद है, इससे पहले ऐसा नहीं हुआ है।"
जस्टिस खेहर ने इसी साल चार जनवरी को 44वें प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ ली थी। समय पर काम के आग्रही केहर के आने के बाद से देखा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की कोर्ट संख्या 1 में प्रतिदिन सुबह 10:30 बजे मामलों की सुनवाई शुरू हो जाती है।
सुप्रीम कोर्ट के कुछ अन्य वकीलों का भी कहना है कि अदालतें अक्सर विलंब से लगती रही हैं, लेकिन समय की ऐसी पाबंदी पहले कभी नहीं देखी गई। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें याद नहीं आ रहा कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे।