इलाहाबाद : सदियों से राजनैतिक, धार्मिक, शैक्षिक गतिविधियों का केंद्र रहा इलाहाबाद अब प्रयागराज हो चुका है। लिखा पढ़ी की माने तो 160 साल बाद जिले का नाम बदला गया है। तो इस पावन मौके पर आज हम इस बात पर लाइट डालने वाले हैं कि इस शहर ने कैसे रंग बदला हम गिना रहे हैं आप गिनते रहिए।
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- पुराणों में लिखा है कि परम पिता ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना करने के बाद सबसे पहला यज्ञ इसी स्थान पर किया था।
- पुराणों में लिखा है, प्रयागस्य पवेशाद्वै पापं नश्यति: तत्क्षणात्।'' अर्थात् प्रयाग में प्रवेश मात्र से ही समस्त पाप कर्म का नाश हो जाता है।
- भगवान ब्रह्मा ने प्रयाग में प्रथम यज्ञ किया था। इसी प्रथम के प्र और यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना था।
- संस्कृत में प्रयाग का एक अर्थ 'बलिदान का स्थान जगह' भी है।
- प्रयाग में ही ऋषि भारद्वाज, दुर्वासा और पन्ना को परम ज्ञान की अनुभूति हुई थी।
- वर्ष 1575 में मुग़ल सम्राट अकबर ने इलाहाबास नाम से शहर की स्थापना की इसका अर्थ है- अल्लाह का शहर।
- वर्ष 1858 में अंग्रेजों ने इसे नाम दिया इलाहाबाद।
- इसके बाद अंग्रेजों ने इसे आगरा-अवध संयुक्त प्रांत की राजधानी घोषित कर दिया।
- राजा हर्षवर्धन ने 644 सीइ में यहीं अपना सबकुछ त्याग दिया था।
- भारत आए चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने अपने यात्रा विवरण में इसका उल्लेख किया है।
- ह्वेन त्सांग ने जो कुछ भी लिखा उसे कुंभ मेले का ऐतिहासिक दस्तावेज माना जाता है।
- देश के प्रथम पीएम जवाहर लाल नेहरू यहीं के रहने वाले थे।
- स्वतंत्रता आंदोलन के समय इलाहाबाद देशभक्तों का मुख्य गढ़ रहा था।
- महामना मदनमोहन मालवीय ने अंग्रेजी हुकूमत के सामने इसका नाम प्रयाग करने के लिए सबसे पहले आवाज उठाई थी।
- वर्ष 1996 के बाद से अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेद्र गिरी ने नाम बदलने की मुहिम को धार दी।
- देश जब स्वतंत्र हुआ तो पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू और उनेक बाद इंदिरा गांधी के सामने इलाहाबाद का नाम बदलने की मांग की गई।