देहरादून: स्टंट, ओवर स्पीड, ट्रिपल राइडिंग, बिना हेलमेट व रैश ड्राइविंग जैसे यातायात अपराध पर काबू पाने के लिए और बिगड़ैल बच्चों को सुधारने के लिए उत्तराखंड पुलिस ने मम्मियों की मदद मांगी है। इस अभियान की सफलता के लिए 'मदर ट्रैफिक फोर्स' गठित करने का निर्णय लिया गया है।
इसके लिए गली-गली, मोहल्लों व कॉलोनियों में जाकर मम्मियों का सहयोग मांगा जाएगा। संगठनों की भी मदद ली जाएगी, ताकि हर घर से ट्रैफिक सुधार की पहल हो सके और उनके लाडलों की रैश ड्राइविंग, ओवरस्पीड और यातायात नियम तोड़ने पर नकेल कसा जा सके।
यह अभियान बढ़ते सड़क हादसों को देखते हुए चलाया जा रहा है। इसमें ट्रैफिक नियमों का पालन करने वाले छात्र-छात्राओं को सम्मानित करने के साथ सिविल सर्विसेज की नि:शुल्क कोचिंग दी जाएगी। मदर ट्रैफिक फोर्स के गठन पर यातायात निदेशालय ने काम भी शुरू कर दिया है। देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल आदि शहरों से इसकी शरुआत की जा रही है।
यहां कराएं पंजीकरण
-मम्मियों से मदर फोर्स के लिए उत्तराखंड ट्रैफिक पुलिस के फेसबुक पेज Traffic Directorate Uttarakhand Police और यातायात निदेशालय के वाटसएप नंबर 8755721002 पर सुझाव व सहमति मांगी गई है।
-स्कूल में होने वाले अभिभावकों की बैठकों व दूसरे बड़े आयोजनों में भी इसे लेकर चर्चा समूह के रूप में मदर फोर्स गठित होगी।
नियम तोड़ने में सबसे आगे युवा
प्रभारी निदेशक यातायात केवल खुराना के अनुसार, यातायात नियम तोड़ने में सबसे आगे युवा और स्कूली छात्र होते हैं। ऐसे में मदर फोर्स के गठन का निर्णय लिया गया है। इसमें सहमति के आधार पर महिलाओं को शामिल किया जाएगा। इस फोर्स के गठन के बाद काफी हद तक यातायात नियमों के पालन की उम्मीद की जा सकती है।
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उत्तराखंड में बच्चों को बनाया गया ट्रैफिक पुलिस
ट्रैफिक सुधार के लिए युवा और बच्चे मन बना लें, तो सड़क दुर्घटनाओं को काफी हद तक रोका जा सकता है। इसी बात को ध्यान में रखकर यातायात निदेशालय ने देहरादून के 40 स्कूलों के बच्चों को यातायात पुलिस बनाने का निर्णय लिया गया है। अब तक 10 स्कूलों के 150 बच्चों को इस अभियान से जोड़ा जा चुका है। जो खुद तो यातायात नियमों का पालन करेंगे ही अपने साथियों को भी यातायात नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करेंगे। गत दिनों इन बच्चों को यातायात निदेशालय बुलाकर यातायात नियमों की जानकारी दी गई।
बेहतर सुधार की उम्मीद
डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी ने कहा, कि 'इस पहल से यातायात व्यवस्था में बेहतर सुधार की पूरी उम्मीद है। यदि अपेक्षित कामयाबी मिलती है तो पूरे प्रदेश के स्कूलों को इस अभियान से जोड़ा जा सकता है।' मजे की बात यह है कि इस अभियान से जुड़े प्रत्येक बच्चे को पर्चे, पुस्तक के अलावा पहचान पत्र भी दिया जाएगा। इसके अलावा आमजनों से ट्रैफिक सुधार में सहयोग करने को भी कहा गया है ताकि इस बाल पुलिस को यातायात सुधार के प्रयास करने में किसी तरह की कोई परेशानी न उठानी पड़े।
तेजी से बढ़ रहे सड़क हादसों और उससे होने वाले नुकसान को देखते हुए एनसीसी व एनएसएस की तर्ज पर बच्चों की ट्रैफिक फोर्स की जरूरत को देखते हुए इस बाल सेना का गठन किया गया है। यह बाल सेना सरल भाषा में यातायात के नियमों की जानकारी देकर लोगों को समझाएगी और उन्हें प्रेरित करेगी। अभियान की सफलता को देखकर पूरे प्रदेश के 200 स्कूलों के बच्चों को इसके लिए तैयार किया जाएगा।