निर्भया गैंगरेप केस: SC ने सुनाया फैसला, दोषियों की फांसी की सजा पर मुहर
सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार (05 मई) को निर्भया गैंगरेप केस पर बड़ा फैसला सुनाएगी। आज पता चलेगा कि निर्भया गैंगरेप के 4 दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रहेगी या नहीं।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार (05 मई) को निर्भया गैंगरेप केस पर बड़ा फैसला सुनाया। SC ने दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी। चारों दोषियों ने फांसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। बता दें, कि जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यता वाली बेंच ने फास्ट ट्रैक सुनवाई के बाद 27 मार्च को फैसला सुरक्षित रखा था।
-16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में 6 आरोपियों ने चलती बस में निर्भया के साथ गैंगरेप किया था।
-उसके प्राइवेट पार्ट्स को बुरी तरह ज़ख़्मी कर चलते बस से फेंक दिया था।
-इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।
-4 दोषियों अक्षय कुमार सिंह, पवन, विनय शर्मा और मुकेश ने दिल्ली हाईकोर्ट के ऑर्डर के फांसी के ऑर्डर को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया।
-दिल्ली में पैरामेडिकल की स्टूडेंट 23 साल की निर्भया 16 दिसंबर की रात अपने दोस्त के साथ मूवी देखकर लौट रही थी।
-वह एक बस में अपने दोस्त के साथ बैठी। बस में मौजूद कुछ लोगों ने उसे धोखे से बैठा लिया था।
-6 बदमाशों ने निर्भया से बर्बरता के साथ चलती बस में गैंगरेप किया था। बाद में उसे और उसके दोस्त को रास्ते में फेंक दिया था।ये भी पढ़ें ... बेटी पर उंगली उठने पर बोली निर्भया की मां-‘ बेटी के बजाय बेटे के संस्कार पर सवाल उठाए समाज’
-13 दिन बाद इलाज के दौरान सिंगापुर में निर्भया की मौत हो गई थी। देशभर में गैंगरेप केस का जमकर विरोध हुआ था।
-एक दोषी राम सिंह ने तिहाड़ में फांसी लगा ली थी। चार को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है।
-घटना के वक्त जुवेनाइल रहे एक आरोपी को सुधार गृह भेजा गया था। 3 साल सजा काटने के बाद वह पिछले साल दिसंबर में रिहा हो गया।
-निर्भया की मां ने कहा, "मुझे न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। दोषियों को सुप्रीम कोर्ट भी फांसी की सजा सुनाएगी और मेरी बेटी को न्याय देगा।"
-हमे सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है कि वो हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखेगी।
-निर्भया के पिता ने कहा, "दोषियों को फांसी की सजा ही मिलनी चाहिए। कोर्ट तो क्या, उन्हें भगवान भी माफ नहीं करेगा।"
आगे की स्लाइड में पढ़ें क्या कहना है आरोपियों के वकील का...
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निर्भया गैंगरेप के दोषियों के वकील ए. पी सिंह का कहना है कि समाज में सोशल मेसेज देने के लिए किसी की जान नहीं ली जा सकती । ये मानव अधिकारों के विरुद्ध है । उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से असहमति जताते हुए कहा कि वह पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे ।