World Toilet Day: टॉयलेट की ऐसी टेक्नालॉजी, जिससे 17 लाख करोड़ रुपये की होगी बचत!
नई दिल्ली: आज वर्ल्ड टॉयलेट डे है। इस खास मौके पर हम आपको बिल गेटस की एक ऐसी खास टेक्नालॉजी के बारें में बताने जा रहे है।जिनके बारें में बहुत कम ही लोग जानते होंगे। गेटस ने उसे टॉयलेट टेक्नालॉजी का नाम दिया है। इससे न केवल मानव मल से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकेगा बल्कि हर साल 17 लाख करोड़ रुपये की बचत भी होगी।
यहां आपको बता दे कि वह बीते दिनों चीन की राजधानी बीजिंग में थे। उन्होंने यहां लोगों से टॉयलेट टेक्नालॉजी के विषय पर बात करते हुए सभी को हैरत में डाल दिया था।
दरअसल वो यहां पर एक तीन दिवसीय ‘रीइनवेंटेड टॉयलेट’ एक्सपो में शिरकत करने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने जो कुछ भी कहा, उसके बारें में सुन कर लोग और भी ज्यादा हैरान हो गये। उस समय उनके हाथ में मानव मल के लिए बना हुआ एक जार भी था। लोगों को सबसे ज्यादा हैरानी इस बात पर हुई कि सॉफ्टवेयर इंडस्ट्रीज का बेताज बादशाह कहे जाने वाले इस आदमी के पास टॉयलेट टेक्नालॉजी भी है।
उससे पहले लोगों को शायद ये बात मालूम नहीं थी कि इस क्षेत्र में बिजेनस की अपार सम्भावनायें भी छिपी हुई है। उन्होंने यहां पर लोगों को मानव मल से होने वाली बीमारियों से बचने के उपाय के बारें में भी जानकारियां दी।
गेट्स और उनके फाउंडेशन ने ऐसा इसलिए किया था जिससे लोगों का ध्यान टॉयलेट से जुड़ी समस्या की ओर लाया जा सके और उन्हें बताया जा सके कि दुनिया के विकसित देशों के पास भी पर्याप्त टॉयलेट नहीं हैं। गेट्स ने कहा कि वह पूरी दुनिया को एक साफ-सुथरा समाज देना चाहते हैं जिससे लोगों को गंदगी से होने वाली समस्याओं से बचाया जा सके।
उन्होंने ये भी कहा कि पूरी दुनिया में पर्याप्त टॉयलेट्स नहीं हैं जिसकी वजह से कई गंभीर बीमारियां हो रही हैं और लोगों की मौत भी हो रही है। लोग मलेरिया और डायरिया जैसे रोगों से लड़ रहे हैं।
उनका मानना है कि टॉयलेट एक गंभीर बिजनेस है और इसके रीइन्वेंशन से पांच लाख जिंदगियों को बचाया जा सकता है। इतना ही नहीं उनके प्लान से 200 अरब डॉलर की बचत होगी। बीते सात सालों में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने सैनिटेशन रिसर्च पर 200 मिलियन डॉलर खर्च किए हैं।
क्या है बिल गेट्स की टॉयलेट टेक्नालॉजी
बिल गेट्स ने टेक्नालॉजी का इस्तेमाल करते हुए नए किस्म का एक टॉयलेट तैयार किया है, जिसमें मल और पानी के लिए गड्ढे की जरूरत नहीं होगी। प्रति व्यक्ति रोजाना इस्तेमाल पर तीन रुपये बासठ पैसे का खर्च आएगा। हाल फिलहाल एक टॉयलेट की कीमत दस हजार डॉलर यानी छह लाख अस्सी हजार रुपए होगी। हालांकि उनका दावा है कि अगर इसे बड़े पैमाने पर तैयार किया गया तो एक टॉयलेट की कीमत पांच सौ डॉलर यानी 35 हजार के आसपास आएगी।
उनके टॉयलेट में पानी खर्च नहीं होगा। बदबू मिटाने के लिए बिल गेट्स फाउंडेशन और स्विटजरलैंड की परफ्यूम कंपनी 'फर्मेनिश' ने इस टॉयलेट में 'स्मेल ब्लाकर' लगा रखा है। अकेले भारत में हर साल स्वच्छता के मद में 32 बिलियन डॉलर खर्च होते हैं, जबकि 2021 तक यह आंकड़ा 62 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है।
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